बड़ा कुछ जहां को दिया तूने साई
बड़ा कुछ जहां को दिया तूने साई
बड़ा कुछ जहाँ को दिया तूने साईं,
मेरी भी ये बिगड़ी बनाओ तो मानूं।
पानी से लाखों ही दीये थे जलाए,
मेरे घर में ज्योति जलाओ तो मानूं।
बड़ा कुछ जहाँ को दिया तूने साईं,
मेरी भी ये बिगड़ी बनाओ तो मानूं।।
मुझे माल-ओ-ज़र की तमन्ना रही ना,
चरणों की मुझको ज़रा धूल दे दे।
हो जिसे देख पतझड़ बहारों में बदले,
मुझे मेरी मर्ज़ी के दो फूल दे दे।
हरा सूखे पेड़ों को किया तूने होगा,
बगिया मेरी ये खिलाओ तो मानूं।
बड़ा कुछ जहाँ को दिया तूने साईं,
मेरी भी ये बिगड़ी बनाओ तो मानूं।
पानी से लाखों ही दीये थे जलाए,
मेरे घर में ज्योति जलाओ तो मानूं।।
तेरी पालकी तो सजी मोतियों से,
मेरे घर का पलना सजाओगे किस दिन?
हो चले कोई मेरी भी ऊँगली पकड़ के,
मुझे साईं वो पल दिखाओगे किस दिन?
यूँ ही रोते गुज़रे कहीं ज़िंदगी ना,
मुझे साईं आके हँसाओ तो मानूं।
बड़ा कुछ जहाँ को दिया तूने साईं,
मेरी भी ये बिगड़ी बनाओ तो मानूं।
पानी से लाखों ही दीये थे जलाए,
मेरे घर में ज्योति जलाओ तो मानूं।
बड़ा कुछ जहाँ को दिया तूने साईं।।
मेरी भी ये बिगड़ी बनाओ तो मानूं।
पानी से लाखों ही दीये थे जलाए,
मेरे घर में ज्योति जलाओ तो मानूं।
बड़ा कुछ जहाँ को दिया तूने साईं,
मेरी भी ये बिगड़ी बनाओ तो मानूं।।
मुझे माल-ओ-ज़र की तमन्ना रही ना,
चरणों की मुझको ज़रा धूल दे दे।
हो जिसे देख पतझड़ बहारों में बदले,
मुझे मेरी मर्ज़ी के दो फूल दे दे।
हरा सूखे पेड़ों को किया तूने होगा,
बगिया मेरी ये खिलाओ तो मानूं।
बड़ा कुछ जहाँ को दिया तूने साईं,
मेरी भी ये बिगड़ी बनाओ तो मानूं।
पानी से लाखों ही दीये थे जलाए,
मेरे घर में ज्योति जलाओ तो मानूं।।
तेरी पालकी तो सजी मोतियों से,
मेरे घर का पलना सजाओगे किस दिन?
हो चले कोई मेरी भी ऊँगली पकड़ के,
मुझे साईं वो पल दिखाओगे किस दिन?
यूँ ही रोते गुज़रे कहीं ज़िंदगी ना,
मुझे साईं आके हँसाओ तो मानूं।
बड़ा कुछ जहाँ को दिया तूने साईं,
मेरी भी ये बिगड़ी बनाओ तो मानूं।
पानी से लाखों ही दीये थे जलाए,
मेरे घर में ज्योति जलाओ तो मानूं।
बड़ा कुछ जहाँ को दिया तूने साईं।।
Bada Kuch Jahan Ko | बड़ा कुछ जहां को | Sai Baba Bhajan | Babul Supriyo | Full Audio Song
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भक्त का हृदय जब उस परम सत्ता की अपार कृपा और दानशीलता का स्मरण करता है, तब वह एक गहन विश्वास और याचना से भर उठता है, जो उस साईं से अपने जीवन की बिगड़ी को संवारने और ज्योति जलाने की प्रार्थना करता है। यह याचना केवल सांसारिक संपदा की नहीं, बल्कि उस आध्यात्मिक प्रकाश की है, जो उसके जीवन को सुख, शांति और प्रेम से आलोकित कर दे। भक्त यह जानता है कि वह साईं, जिसने पानी से लाखों दीये जलाए और सूखे पेड़ों को हरा-भरा किया, वह उसके घर में भी ज्योति जला सकता है और उसकी बगिया को खुशियों से महका सकता है। यह विश्वास भक्त को उस सत्ता के और करीब ले जाता है, जो सारे जहान को अनमोल दान देती है।
भक्त का मन सांसारिक धन-दौलत की तमन्ना से परे, केवल उस साईं के चरणों की धूल और दो फूलों की कामना करता है, जो उसके जीवन के पतझड़ को बहार में बदल दें। वह उस साईं की पालकी की सजावट को देखकर प्रार्थना करता है कि वह उसके घर के पलने को भी अपनी कृपा से सजाए और उसे वह पल दिखाए, जब कोई उसकी उंगली थामकर उसे प्रेम और स्नेह से नवाजे। भक्त की यह तड़प कि उसकी जिंदगी रोते-रोते न बीत जाए, उसे उस साईं से हँसने और जीने की शक्ति माँगने को प्रेरित करती है। यह भक्ति का वह मार्ग है, जहाँ भक्त अपने सारे दुख और आकांक्षाओं को उस साईं के चरणों में अर्पित कर देता है, यह विश्वास रखते हुए कि उसकी कृपा ही उसके जीवन को सार्थक और आलोकित बनाएगी।
भक्त का मन सांसारिक धन-दौलत की तमन्ना से परे, केवल उस साईं के चरणों की धूल और दो फूलों की कामना करता है, जो उसके जीवन के पतझड़ को बहार में बदल दें। वह उस साईं की पालकी की सजावट को देखकर प्रार्थना करता है कि वह उसके घर के पलने को भी अपनी कृपा से सजाए और उसे वह पल दिखाए, जब कोई उसकी उंगली थामकर उसे प्रेम और स्नेह से नवाजे। भक्त की यह तड़प कि उसकी जिंदगी रोते-रोते न बीत जाए, उसे उस साईं से हँसने और जीने की शक्ति माँगने को प्रेरित करती है। यह भक्ति का वह मार्ग है, जहाँ भक्त अपने सारे दुख और आकांक्षाओं को उस साईं के चरणों में अर्पित कर देता है, यह विश्वास रखते हुए कि उसकी कृपा ही उसके जीवन को सार्थक और आलोकित बनाएगी।
Song Name: Bada Kuch Jahan Ko
Album: Sai Teri Shirdi Nirali
Singer: Babul Supriyo
Lyricist: Balbir Nirdosh
Music Director: Anu Malik
Original Song: Sambhala Hai Maine
Album: Sai Teri Shirdi Nirali
Singer: Babul Supriyo
Lyricist: Balbir Nirdosh
Music Director: Anu Malik
Original Song: Sambhala Hai Maine
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Author - Saroj Jangir
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