कोई जब तुम्हारा सहारा ना हो

कोई जब तुम्हारा सहारा ना हो

कोई जब तुम्हारा सहारा ना हो,
फँसी नाव को जब किनारा ना हो,
तब तुम चले आना दरबार में,
ये बाबा खड़ा है,
खड़ा ही रहेगा तुम्हारे लिये,
कोई जब तुम्हारा सहारा ना हो।

अंधेरो भरी हर तेरी राहा में,
चले बन उजाला तेरे साथ में,
हो रंगीन पल या ग़मों की घड़ी,
तेरा हाथ होगा सदा हाथ में,
तन्हाई जो तुझको डराने लगे,
कदम ग़र तेरे डगमगाने लगे,
तब तुम चले आना दरबार।

है ख़ुशियों में साथी तेरे हर कोई,
बुरे वक्त में सब बदल जाएँगे,
समझता रहा तू जिन्हें हमसफ़र,
तुझे छोड़ आगे निकल जाएँगे,
जब अपने भी आँखे दिखाने लगे,
ज़माना भी ठोकर लगाने लगे,
तब तुम चले आना दरबार।

घड़ी दो घड़ी की तेरी ज़िन्दगी,
ये पानी के जैसे गुज़र जाएगी,
कर ले भजन तू मेरे श्याम का,
जो बिगड़ी है वो भी संवर जाएगी,
तरुण जब समय पास आने लगे,
ये साँसे भी हाथों से जाने लगे,
तब तुम चले आना दरबार।

कोई जब तुम्हारा सहारा ना हो,
फँसी नाव को जब किनारा ना हो,
तब तुम चले आना दरबार में,
ये बाबा खड़ा है,
खड़ा ही रहेगा तुम्हारे लिये,
कोई जब तुम्हारा सहारा ना हो।


भजन श्रेणी : कृष्ण भजन (Krishna Bhajan)

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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