कथा श्री परशुराम की, सुन लो ध्यान लगाय, परम भक्त महादेव के, परशुराम कहलाय, रे भक्तों परशुराम कहलाय।
महाऋषि परशुराम जी, भक्तों के भगवान्, बड़े बड़े योध्या इन्हे, देते हैं सम्मान, रे भक्तों, देते हैं सम्मान।
रामायण की एक कथा, सुन लो, तुम्हे सुनाय, सीता स्वयंवर का तुम्हे, किस्सा एक बताय तुम्हे, रे भक्तों किस्सा एक बताय।
धनुष यज्ञ में सारे ही, योद्धा गए थे हार, तोडा धनुष श्री राम ने, मच गया हा हाकार, रे भक्तों मच गया हा हाकार।
सीता जी को ब्याह के, जाने लगे जब राम, आई आंधी तेज फिर,
हुआ अनोखा काम, रे भक्तों हुआ अनोख़ा काम।
आंधी में से निकल पड़े, परशु राम भगवान्, क्रोधित होकर राम से, करने लगे बखान, रे भक्तों करने लगे बखान।
शिव के धनुष को तोड़ के, तुमने किया अपमान, शिव स्वरुप गुरुदेव का, करता मैं सम्मान, रे भक्तों करता मैं सम्मान।
मैं कुछ भी नहीं जानता, बोले परशुराम, पहले जैसा धनुष ये, करदो फिर श्री राम, रे भक्तो करदो फिर श्री राम।
अगर ना मानी बात तो, श्राप तुम्हे दे जाएं, शिव का धनुष मुझे चाहिए, चाहे जो हो जाए, रे भक्तों, चाहे जो हो जाए।
ऋषि तुम्हारी ईच्छा का, पूरा करूँ ये काम, अपनी इच्छा शक्ति से, जोड़े धनुष श्री राम,
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रे भक्तों जोड़े धनुष श्री राम।
परशुराम हर्षित हुए, बोले जय श्री राम, देकर के आशीष गए, कहाँ ऋषि परशुराम, रे भक्तों कहाँ ऋषि परशुराम।
भक्तों तुम्हे परशुराम की, एक बार कथा सुनाय, एक दिन शिव के दर्शन को, वो कैलाश पे जाएं, रे भक्तों वो कैलाश पे जाएं।
मिले वहां पे गणेश जी, ऋषिवर को यह बताय, मात पिता विश्राम करे, आप अभी ना जाएं, रे भक्तों आप अभी ना जाएं।
हठ करते परशुराम जी, फिर गणेश जी समझाए, करूँगा दर्शन मैं अभी, चाहे कुछ हो जाय, रे भक्तों चाहे कुछ हो जाय।
जब दोनों के बीच में, बात ये बढ़ती जाय, परशुराम क्रोधित हुए, फरसा लिए उठाय, रे भक्तों फरसा लिए उठाय।
फिर गणेश परशुराम में, होने लगा संग्राम, अंत में इस महायुद्ध का, निकला ये परिणाम, रे भक्तों निकला ये परिणाम।
बायां दांत गणेश का, काट दिया बतलाय, शिव की निंद्रा टूट गई, देव सभी घबराय, रे भक्तों देव सभी घबराय।
लहूलुहान जब देखा है, अपना पुत्र गणेश, एक दन्त टूटा देखा, मन में हुआ क्लेश, रे भक्तों मन में हुआ क्लेश।
क्रोधित हुई माँ पार्वती, प्रलय करना चाहे, विष्णु जी फिर प्रकट हुए, माता को समझाय, रे भक्तों माता को समझाय।
गणपति पुत्र महान है, परशुपुत्र समान, दे दो माता पार्वती, इनको क्षमा का दान, रे भक्तों इनको क्षमा का दान।
उसी समय से गणपति, एकदन्त कहलाय, गणपति की करे वंदना, परशुराम बतलाय, रे भक्तों परशुराम बतलाय।
शिव गौरा को पूज के, किया उन्हें प्रणाम, परशुराम जी लौटकर, आये अपने धाम, रे भक्तों आये अपने धाम। कर लो उन्हें प्रणाम रे भक्तों, कर लो उन्हें प्रणाम। कथा श्री परशुराम की, सुन लो ध्यान लगाय, परम भक्त महादेव के, परशुराम कहलाय, रे भक्तों परशुराम कहलाय।
Katha Shri Parashuram Ki, Sun Lo Dhyan Lagay, Param Bhakt Mahadev Ke, Parashuram Kahalay, Re Bhakton Parashuram Kahalay.
Author - Saroj Jangir
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