विघ्न हरो गवरी के नन्दा रखो लाज गणराज पति

विघ्न हरो गवरी के नन्दा रखो लाज गणराज पति

विघ्न हरों गवरी के नन्दा,
रखो लाज गणराज पति।।।

दोहा
नमो नमो गुरुदेवजी,
नमो नमो सब संत,
जन दरिया वंदन करे,
नमो नमो भगवंत।।

नमस्कार मेरे मात-पिता को,
जिनसे रचा शरीर,
वंदन करूं गुरुदेव ने,
म्हारो पड़ियो भजन में सीर।।

विघ्न हरों गवरी के नन्दा,
रखो लाज गणराज पति,
दास तुम्हारा प्रभु अर्ज करत हैं,
सुनो मालिक कैलाशपति।।

महादेव पार्वती ने परणे,
तीन लोक में वे शक्ति,
सदा शिव जी रे संग बिराजे,
वो माता हैं पार्वती।।

रामचंद्र जी सीता ने परणे,
लक्ष्मण हैं वे बाल जती,
उलट हाथ प्रभु बाण सांभियो,
रावण मारियो लंकापति।।

हनुमान हैं दास राम रा,
उनको जी जाया अजनी जती,
उलटे पांव कूद गयो सागर,
शंका न लायो धणी पाव रती।।

वासुदेव जी रत्न हाथ में,
सभा जुड़ी हैं देव रथी,
सूरदास संतों री महिमा,
सुनें सांभले जती सती।।

विघ्न हरों गवरी के नन्दा,
रखो लाज गणराज पति,
दास तुम्हारा प्रभु अर्ज करत हैं,
सुनो मालिक कैलाशपति।।


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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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