सांवरे की सेवा में जो मस्ती भजन

सांवरे की सेवा में जो मस्ती भजन

सांवरे की सेवा में जो मस्ती।
वैसी मस्ती जहाँ में नहीं है,
ये मस्ती बरसती है रज के,
ऐसे रिमझिम बरसती नहीं है,
सांवरे की सेवा में जो मस्ती।

दुनियां वालों ने जब मुझसे पूछा,
करता क्या है जो तुझपे कृपा है,
करता हूँ सांवरे की मैं सेवा,
इससे बढ़ कर मेरे लिए क्या है,
सांवरे की सेवा में जो मस्ती,
वैसी मस्ती जहां में नहीं है।

कोई श्रृंगार की करता सेवा,
कोई ताली से पाता है मेवा,
जो भी अर्ज़ी लगाकर पुकारे,
आया ना हो ये होता नहीं है,
सांवरे की सेवा में जो मस्ती,
वैसी मस्ती जहां में नहीं है।

जबसे मस्त मंडल से जुड़ा हूँ,
मैं कदम कितने आगे बढ़ा हूँ,
रवि कर लूँ कृपाओं की गिनती,
इतनी औकात मेरी नहीं है,
सांवरे की सेवा में जो मस्ती,
वैसी मस्ती जहां में नहीं है।

सांवरे की सेवा में जो मस्ती,
वैसी मस्ती जहां में नहीं है,
ये मस्ती बरसती है रज के,
ऐसे रिमझिम बरसती नहीं है,
सांवरे की सेवा में जो मस्ती।


भजन श्रेणी : कृष्ण भजन (Krishna Bhajan)


साँवरे की सेवा - Sanware ki Sewa - Khatu Shyam ji Song - Pulkit Jain - Hindi Bhajan @Saawariya

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