ब्रह्माणी माता आरती लिरिक्स Brahmani Mata Aarti Lyrics

ब्रह्माणी माता आरती लिरिक्स Brahmani Mata Aarti Lyrics, Om Jay Brahmani Mata Aarti Bhajan Lyrics Hindi / Singer :- Jyoti Gourisaria

ॐ जय ब्राह्मणी माता,
मैया जय ब्राह्मणी माता,
पल्लू धाम विराजत,
पल्लू धाम विराजत,
विद्या बुद्धि दाता,
रजत सिंहासन बैठी,
सर छत्र सोहै,
हंस सवारी करती,
हंस सवारी करती,
रूप मधुर मोहे,
ॐ जय ब्राह्मणी माता

महाकाली महालक्ष्मी,
सरस्वती साजे,
मैया सरस्वती साजे,
माँ करणी और भैरव,
माँ करणी और भैरव,
मंदिर में बिराजै,
ॐ जय ब्राह्मणी माता।

भगत सार्दुल करी अगवाणी,
सूर्य कुल वाला,
मैया सूर्य कुल वाला,
पहले पूजा उनकी,
पहले पूजा उनकी,
ये वर दे डाला,
ॐ जय ब्राह्मणी माता।

ढ़ोल नगाड़े बाजै,
सुर कर ध्यान करें,
नर नारी गुण गायें,
नर नारी गुण गायें,
चरणों में नमन करे,
ॐ जय ब्राह्मणी माता।

भगत खोजमन पाया,
कृपा करी भारी,
मैया कृपा करी भारी,
उनकी शृद्धा भक्ति,
लागि अति प्यारी,
ॐ जय ब्राह्मणी माता।

महामाई, महामाया,
सर पर हाथ धरो,
मैया सर पर हाथ धरो,
कहत रवि सुख संपत्ति,
का भण्डार भरो,
ॐ जय ब्राह्मणी माता।

ॐ जय ब्राह्मणी माता,
मैया जय ब्राह्मणी माता,
पल्लू धाम विराजत,
पल्लू धाम विराजत,
विद्या बुद्धि दाता,
रजत सिंहासन बैठी,
सर छत्र सोहै,
हंस सवारी करती,
हंस सवारी करती,
रूप मधुर मोहे,
ॐ जय ब्राह्मणी माता।

भजन श्रेणी : माता रानी भजन (Mata Rani Bhajan)



श्री ब्रह्माणी माता आरती || Jyoti Gourisaria || Shree Brahmaani Mata Aarti || Mata Aarti 2022

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Man Karani Aur Bhairav,
Man Karani Aur Bhairav,
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Maiya Sury Kul Wala,
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Pahale Puja Unaki,
Ye Var De Dala,
Om Jay Brahmani Mata.

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Sur Kar Dhyan Karen,
Nar Nari Gun Gayen,
Nar Nari Gun Gayen,
Charanon Mein Naman Kare,
Om Jay Brahmani Mata.

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Kripa Kari Bhari,
Maiya Kripa Kari Bhari,
Unaki Shrddha Bhakti,
Lagi Ati Pyari,
Om Jay Brahmani Mata.

Mahamai, Mahamaya,
Sar Par Hath Dharo,
Maiya Sar Par Hath Dharo,
Kahat Ravi Sukh Sampatti,
Ka Bhandar Bharo,
Om Jay Brahmani Mata.

Om Jay Brahmani Mata,
Maiya Jay Brahmani Mata,
Pallu Dham Virajat,
Pallu Dham Virajat,
Vidya Buddhi Data,
Rajat Sinhasan Baithi,
Sar Chhatr Sohai,
Hans Savari Karati,
Hans Savari Karati,
Rup Madhur Mohe,
Om Jay Brahmani Mata.
 
श्री ब्राह्मणी माता जी की आरती - प्रथम
जय अम्बे गौरी, मैया जय आनन्द करनी ।
तुमको निश-दिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिव री ॥टेक॥
मांग सिंदूर विराजत, टीको मृग मद को ।
कमल सरीखे दाऊ नैना, चन्द्र बदन नीको ॥1॥
कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै ।
रक्त पुष्प गलमाला, कण्ठन पर साजै ॥2॥
केहरि वाहन राजत, खड़ग खप्पर धारी ।
सुर-नर-मुनि-जन-सेवत, सबके दुखहारी ॥3॥
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती ।
कोटिक चन्द्र दिवाकर, राजत सम ज्योति ॥4॥
शुम्भ निशुम्भ विडारे, महिषासुर – घाती ।
धूम्र विलोचन नैना, निश दिन मदमाती ॥5॥
चण्ड मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे ।
मधु कैटभ दो‌ऊ मारे, सुर भय हीन करे ॥6॥
ब्रह्माणी, रुद्राणी, तुम कमला रानी ।
आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी ॥7॥
चौसठ योगिनी गावत, नृत्य करत भैरुं ।
बाजत ताल मृदंगा, और बाजत डमरुँ ॥8॥
तुम हो जग की माता, तुम ही हो भरता ।
भक्‍तन् की दुःख हरता, सुख-सम्पत्ति करता ॥9॥
भुजा अष्ट अति शोभित, वर मुद्रा धारी ।
मन वांछित फल पावे, सेवत नर नारी ॥10॥
कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती ।
श्री पल्लू कोट में विराजत, कोटि रतन ज्योति ॥11॥
श्री अम्बे भवानी की आरती, जो को‌ई नर गावे ।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख सम्पत्ति पावे ॥12॥
जय अम्बे गौरी, मैया जय आनन्द करनी ।
तुमको निश-दिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिव री ॥13॥
श्री ब्राह्मणी माता जी की आरती - द्वितीय
अम्बे तू हैं जगदम्बे काली, जय मैय्या पल्लू वाली,
तेरे ही गुण गायें भारती,
ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती-2 ॥टेक॥
माता तेरे भक्त जनों पे भीर पड़ी हैं भारी,
दानव दल पर टूट पड़ो माँ करके सिंह सवारी-२ ।
सब पे करूणा दर्शाने वाली, अमृत बरसाने वाली,
नैयाँ भँवर से उबारती,
ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती॥2॥
नहीं मांगते धन और दौलत, ना चांदी ना सोना,
हम तो मांगते तेरे मन का एक छोटा सा कोना-२ ।
सबकी बिगड़ी बनाने वाली, लाज बचाने वाली,
सतियों के सत को संवारती,
ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती॥3॥

श्री ब्राह्मणी माता जी की आरती - चतुर्थ
ॐ ब्रह्माणी मैया, जय ब्रह्माणी मैया।
पल्लू धाम विराजत-2, सब जन कल्याणी ।।
ॐ जय माँ ब्रह्माणी ।।
मंगल मोदमयी माँ, पीताम्बर धारी-2 मैया।
स्वर्ण छत्र से शोभित-2, हंसन असवारी ।।
ॐ जय माँ ब्रह्माणी ।।
कर में तेरे कमंड़ल, अक्ष माला सोहे-2 मैया।
लाल ध्वजा फहराये-2, सबका मन मोहे ।।
ॐ जय माँ ब्रह्माणी ।।
पत्र पुष्प फल धूप दीप, नैवेध्य चढ़े भारी-2 ।
जगमग ज्योत आरती-2, भक्तन भय हारी ।।
ॐ जय माँ ब्रह्माणी ।।
डमरू ढोल नगाड़े, कीर्तन जयकारे -2 मैया।
तीन लोक यश गूंजे-2, कष्ट हरो सारे ।।
ॐ जय माँ ब्रह्माणी।।
पुत्र हीन, धन हीन दुःखी, जिस आशा से आवे-2।
दयामयी तेरे द्वारे-2 वांछित फल पावे।।
ॐ जय माँ ब्रह्माणी।।
कृपा दृष्टि मुझ पर माँ, तेरी बनी रहे -2 मैया।
तुझे न क्षण भर भूलू-2, तू मेरे साथ रहे ।।
ॐ जय माँ ब्रह्माणी।।
सेवा पूजा साधन, कुछ भी नहीं जानू-2 मैया।
करूँ आरती अर्पण-2, धन्य भाग माँनू ।।
ॐ जय माँ ब्रह्माणी।।
ॐ जय माँ ब्रह्माणी, जय माँ ब्रह्माणी -2 मैया।
पल्लू धाम विराजत-2, सब जन कल्याणी ।।
ॐ जय माँ।।

काली जी की आरती
मंगल की सेवा सुन मेरी देवा,
हाथ जोड़ तेरे द्वार खडें,
पान सुपारी धवजा नारियल,
ले ज्वाला तेरी भेंट क़रें।
सुन जगदम्बें कर न विलम्बें,
संतन के भंडार भरें,
संतन प्रतिपाली सदा खुशहाली,
जय काली कल्याण करें॥टेक॥
बुद्धि विधाता तू जगमाता,
मेरा कारज सिद्ध करें,
चरण कमल का लिया आसरा,
शरण तुम्हारी आन परें।
जब जब पीर पडे भक्तन पर,
तब तब आए सहाय करें
संतन प्रतिपाली सदा खुशहाली,
जय काली कल्याण करें॥1॥
बार बार तै सब जग मोहयो,
तरुणी रुप अनूप धरें,
माता होकर पुत्र खिलावें,
कही भार्या बन भोग करें।
संतन सुखदायी, सदा सहाई,
संत खडे जयकार करें,
संतन प्रतिपाली सदा खुशहाली,
जय काली कल्याण करें॥2॥
ब्रह्मा, विष्णु, महेश फल लिए,
भेंट देन सब द्वार खड़े,
अटल सिंहासन बैठी माता,
सिर सोने का छत्र धरें।
वार शनिचर कुंकुम वरणी,
जब लुंकुड पर हुक्म करें,
संतन प्रतिपाली सदा खुशहाली,
जय काली कल्याण करें॥3॥

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