जहाँ जिनकी जटाओं में गंगा की, बहती अविरल धारा, अभिनंदन उन्हे हमारा, अभिनंदन उन्हे हमारा, जिनके त्रिनेत्र ने कामदेव को, एक ही पल मारा, अभिनंदन उन्हे हमारा।
भीक्षुक बनकर डोले वन वन वो, विशम्भर कहलाए,
देवों को दे अमृत घट वो, खुद काल कूट पी जाए, नर मुंडो कि माला को जिसने, अपने तन पर धारा, अभिनंदन उन्हे हमारा।
विषधर सर्पों को धारण कर, रखा है अपने तन पर, दीनों के बंधु दया सदा, करते हैं अपने जन पर,
Shiv Bhajan Lyrics in Hindi
देते हे उनको सदा सहारा, जिसने उन्हें पुकारा, अभिनंदन उन्हे हमारा।
राघव की अनुपम भक्ति जिनके, जीवन की आशाएं, सतसंग रुपी सुमनों से, सारी धरती को महकाए, ज्ञानी भी जिनकी गूढ़ महिमा का, पा ना सके किनारा,
अभिनंदन उन्हे हमारा।
जहाँ जिनकी जटाओं में गंगा की, बहती अविरल धारा, अभिनंदन उन्हे हमारा, अभिनंदन उन्हे हमारा, जिनके त्रिनेत्र ने कामदेव को, एक ही पल मारा, अभिनंदन उन्हे हमारा।
जहॉ जिनकी जटाओ में गंगा की बेहती अविरल धारा अभीन्नदन उन्हें हमारा
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