जहाँ जिनकी जटाओं में गंगा की बहती अविरल धारा लिरिक्स Jahan Jinki Jatao Me Ganga Lyrics

जहाँ जिनकी जटाओं में गंगा की बहती अविरल धारा लिरिक्स Jahan Jinki Jatao Me Ganga Lyrics, Shiv Bhajan by maa ashapura dham bhopawar

जहाँ जिनकी जटाओं में गंगा की,
बहती अविरल धारा,
अभिनंदन उन्हे हमारा,
अभिनंदन उन्हे हमारा,
जिनके त्रिनेत्र ने कामदेव को,
एक ही पल मारा,
अभिनंदन उन्हे हमारा।

भीक्षुक बनकर डोले वन वन वो,
विशम्भर कहलाए,
देवों को दे अमृत घट वो,
खुद काल कूट पी जाए,
नर मुंडो कि माला को जिसने,
अपने तन पर धारा,
अभिनंदन उन्हे हमारा।

विषधर सर्पों को धारण कर,
रखा है अपने तन पर,
दीनों के बंधु दया सदा,
करते हैं अपने जन पर,
देते हे उनको सदा सहारा,
जिसने उन्हें पुकारा,
अभिनंदन उन्हे हमारा।

राघव की अनुपम भक्ति जिनके,
जीवन की आशाएं,
सतसंग रुपी सुमनों से,
सारी धरती को महकाए,
ज्ञानी भी जिनकी गूढ़ महिमा का,
पा ना सके किनारा,
अभिनंदन उन्हे हमारा।

जहाँ जिनकी जटाओं में गंगा की,
बहती अविरल धारा,
अभिनंदन उन्हे हमारा,
अभिनंदन उन्हे हमारा,
जिनके त्रिनेत्र ने कामदेव को,
एक ही पल मारा,
अभिनंदन उन्हे हमारा।

भजन श्रेणी : शिव भजन ( Shiv Bhajan)


जहॉ जिनकी जटाओ में गंगा की बेहती अविरल धारा अभीन्नदन उन्हें हमारा

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