तेरी यादों का वो मंज़र मुझे कितना रुलाता है
तेरी यादों का वो मंजर मुझे कितना रूलाता है
तेरी यादों का वो मंजर, मुझे कितना रुलाता है,
तू जब-जब याद आता है।।
क्या मालूम था कि गर्दिश का सितारा ऐसे टूटेगा,
जीवन के सफ़र में एक दिन, तेरा साथ छूटेगा।
तेरे बिन ऐ मेरे हमदम, नहीं दिल चैन पाता है,
तू जब-जब याद आता है।।
तेरे होने की गर मुझको, कहीं कोई आस मिल जाए,
तमन्ना है मेरी इतनी, मुझे तू काश मिल जाए।
गुज़ारा साथ जो लम्हा, वही नश्तर चुभाता है,
तू जब-जब याद आता है।।
बिखरती आस उल्फ़त की, यही फ़रियाद करती है,
चले आओ, चले आओ, निगाहें याद करती हैं।
रूपगिर का दुखी नग़मा, तुम्हें हरदम बुलाता है,
तू जब-जब याद आता है।।
तू जब-जब याद आता है।।
क्या मालूम था कि गर्दिश का सितारा ऐसे टूटेगा,
जीवन के सफ़र में एक दिन, तेरा साथ छूटेगा।
तेरे बिन ऐ मेरे हमदम, नहीं दिल चैन पाता है,
तू जब-जब याद आता है।।
तेरे होने की गर मुझको, कहीं कोई आस मिल जाए,
तमन्ना है मेरी इतनी, मुझे तू काश मिल जाए।
गुज़ारा साथ जो लम्हा, वही नश्तर चुभाता है,
तू जब-जब याद आता है।।
बिखरती आस उल्फ़त की, यही फ़रियाद करती है,
चले आओ, चले आओ, निगाहें याद करती हैं।
रूपगिर का दुखी नग़मा, तुम्हें हरदम बुलाता है,
तू जब-जब याद आता है।।
तेरी यादो का वो मंजर मुझे कितना रुलाता है रुपगिरी वेदाचार्य जी भरतपुर
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Admin - Saroj Jangir
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