मानक मोत्या जड़ायो, चुनर को गोटो, सोने और चांदी से, गढवाया सा, बीरो और भावज मिलके, ओढ़ाया सा, बीरो और भावज मिलके, ओढ़ाया सा, म्हारो बीरो आयो बन कर के, कृष्ण कन्हाई, सागे रूकमण सी आई, भोजाई जी,
सागे रूकमण सी आई, भोजाई जी।
म्हारो बीरो आयो बण कर के, कृष्ण कन्हाई, सागे रूकमण सी आई, भोजाई जी, सागे रूकमण सी आई, भोजाई जी।