पावन चरण तुम्हारे ओ मन मोहन भजन
पावन चरण तुम्हारे,
ओ मन मोहन चित्तचोर,
हमको भी पावन कर दे,
ओ प्यारे नंद किशोर,
पावन चरण तुम्हारे,
ओ मन मोहन चित्तचोर,
हमको भी पावन कर दे,
ओ प्यारे नंद किशोर।
सारे जगत का,
तू रखवाला,
मुरली मनोहर,
तू नंदलाला,
तब तो तेरी पूजा होती,
है चारों और,
हमको भी पावन कर दे,
ओ प्यारे नंद किशोर।
राजा हो या दीन भिखारी,
मिलती है सबको कृपा तुम्हारी,
एक भाव से देखे तू,
सबको नवल किशोर,
हमको भी पावन कर दे,
ओ प्यारे नंद किशोर।
दोष हमारे कान्हां,
चित्त ना धरना,
मैं पतझड़ हूँ, सावन करना,
राजेंद्र पर बरसा दे तू,
कृपा माखन चोर,
हमको भी पावन कर दे,
ओ प्यारे नंद किशोर।
पावन चरण तुम्हारे,
ओ मन मोहन चित्तचोर,
हमको भी पावन कर दे,
ओ प्यारे नंद किशोर,
पावन चरण तुम्हारे,
ओ मन मोहन चित्तचोर,
हमको भी पावन कर दे,
ओ प्यारे नंद किशोर।
ओ मन मोहन चित्तचोर,
हमको भी पावन कर दे,
ओ प्यारे नंद किशोर,
पावन चरण तुम्हारे,
ओ मन मोहन चित्तचोर,
हमको भी पावन कर दे,
ओ प्यारे नंद किशोर।
सारे जगत का,
तू रखवाला,
मुरली मनोहर,
तू नंदलाला,
तब तो तेरी पूजा होती,
है चारों और,
हमको भी पावन कर दे,
ओ प्यारे नंद किशोर।
राजा हो या दीन भिखारी,
मिलती है सबको कृपा तुम्हारी,
एक भाव से देखे तू,
सबको नवल किशोर,
हमको भी पावन कर दे,
ओ प्यारे नंद किशोर।
दोष हमारे कान्हां,
चित्त ना धरना,
मैं पतझड़ हूँ, सावन करना,
राजेंद्र पर बरसा दे तू,
कृपा माखन चोर,
हमको भी पावन कर दे,
ओ प्यारे नंद किशोर।
पावन चरण तुम्हारे,
ओ मन मोहन चित्तचोर,
हमको भी पावन कर दे,
ओ प्यारे नंद किशोर,
पावन चरण तुम्हारे,
ओ मन मोहन चित्तचोर,
हमको भी पावन कर दे,
ओ प्यारे नंद किशोर।
भजन श्रेणी : कृष्ण भजन (Krishna Bhajan)
pavan charan tumhare o man mohan chita chor.humko bhi pavan katde o pyare nand kishor by rajenrda
Singer,-rajendra prasad soni
Lyricist-rajendar prasad soni
Music by-ranendra prasad son
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Pawan Charan Tumhare,
O Man Mohan Chittachor,
Hamako Bhi Pawan Kar De,
O Pyare Nand Kishor,
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Hamako Bhi Pawan Kar De,
O Pyare Nand Kishor.
O Man Mohan Chittachor,
Hamako Bhi Pawan Kar De,
O Pyare Nand Kishor,
Pawan Charan Tumhare,
O Man Mohan Chittachor,
Hamako Bhi Pawan Kar De,
O Pyare Nand Kishor.
भगवान के पावन चरणों में असीम पवित्रता छिपी होती है जो मन को शांति और आध्यात्मिक ऊंचाई तक ले जाती है। उस चरणस्पर्श मात्र से मन के सभी अशुद्ध विचार और व्यवधान दूर होकर शुद्धता और आनन्द का अनुभव होता है। मन जो चित्तचोर है, अर्थात् जो हमेशा उलझनों और व्याकुलताओं में रहता है, उसे भी भगवान की मूरत के सामने समर्पित हो जाने पर सांत्वना मिलती है और वह अपने अंदर की गहरी अशांतता को छोड़कर अविरल प्रेम और विश्राम की ओर बढ़ता है। यह एक ऐसा आलोक है जो न केवल व्यक्तिगत मन की समस्याओं को मिटाता है, बल्कि जीवन को एक नई दिशा, भावना, और उद्देश्य से भर देता है।
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Author - Saroj Jangir
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