एक दो तीन चार जगदम्बा की जय जयकार
एक दो तीन चार,
जगदम्बा की जय जयकार,
एक दो तीन चार,
माता जी की जय जयकार।
मैया जी अर्जी सुणल्यो,
थाने धोखा बारम्बार,
बिगड़ी बात संवारें जो मैं,
बोला जय जयकार।
डूंगर पे माता को धाम,
लेवां हरदम थारो नाम,
माता रानी ने प्रणाम,
ध्यावा थाने सुबह और शाम,
करता सब थारा गुणगान,
तू छै माता बड़ी महान,
आओ भक्तो करल्यो ध्यान,
माने सारो जगत जहान,
एक दो तीन चार,
जगदम्बा की जय जयकार,
एक दो तीन चार,
माता जी की जय जयकार।
मैया की दरबार की,
और महिमा अपरम्पार,
सबने तरण वाली माँ,
लियो कलयुग में अवतार,
सुबह ल्यो शाम ल्यो,
माता जी को नाम ल्यो,
जय बोलो जय बोलो,
माता जी जय बोलो
ढोल नगाड़ा बजाता,
भक्त सारा नाँचता,
मंदिर प्यारा लगता,
दुखियारा वर माँगता
एक दो तीन चार,
जगदम्बा की जय जयकार,
एक दो तीन चार,
माता जी की जय जयकार।
जात जडूला सवामण्या की,
माता के भर भारी,
बारह महीना भीड़ घणी,
लाखों आवे नर नार,
जय माता दी जय माता दी,
सारा बोलो जय माता दी,
सुख में बोलो जय माता दी,
दुख में बोलो जय माता दी,
भक्ता माले ध्यान धरज्यो,
म्हाकी नैया पार करज्यो
संकट माही लाज राख ज्यो,
मैया म्हाकी अर्जी सुन ज्यो,
जगह जगह भंडारा लाग्या,
हलवा पूड़ी साग,
प्रसादी खाल्यो भक्तो थाका,
खुल जावेला भाग,
जगह जगह सू भक्ता आया,
टोंक निवाई कोली को,
जयपुर दौसा गंगापुर से,
आया भक्त करौली का,
श्योपुर का भक्त आया,
प्यारा लागे बोली का,
चौमू और सीकर का आया,
तिलक लगाके रोळी का,
एक दो तीन चार,
जगदम्बा की जय जयकार,
एक दो तीन चार,
माता जी की जय जयकार।
जगदम्बा की जय जयकार,
एक दो तीन चार,
माता जी की जय जयकार।
मैया जी अर्जी सुणल्यो,
थाने धोखा बारम्बार,
बिगड़ी बात संवारें जो मैं,
बोला जय जयकार।
डूंगर पे माता को धाम,
लेवां हरदम थारो नाम,
माता रानी ने प्रणाम,
ध्यावा थाने सुबह और शाम,
करता सब थारा गुणगान,
तू छै माता बड़ी महान,
आओ भक्तो करल्यो ध्यान,
माने सारो जगत जहान,
एक दो तीन चार,
जगदम्बा की जय जयकार,
एक दो तीन चार,
माता जी की जय जयकार।
मैया की दरबार की,
और महिमा अपरम्पार,
सबने तरण वाली माँ,
लियो कलयुग में अवतार,
सुबह ल्यो शाम ल्यो,
माता जी को नाम ल्यो,
जय बोलो जय बोलो,
माता जी जय बोलो
ढोल नगाड़ा बजाता,
भक्त सारा नाँचता,
मंदिर प्यारा लगता,
दुखियारा वर माँगता
एक दो तीन चार,
जगदम्बा की जय जयकार,
एक दो तीन चार,
माता जी की जय जयकार।
जात जडूला सवामण्या की,
माता के भर भारी,
बारह महीना भीड़ घणी,
लाखों आवे नर नार,
जय माता दी जय माता दी,
सारा बोलो जय माता दी,
सुख में बोलो जय माता दी,
दुख में बोलो जय माता दी,
भक्ता माले ध्यान धरज्यो,
म्हाकी नैया पार करज्यो
संकट माही लाज राख ज्यो,
मैया म्हाकी अर्जी सुन ज्यो,
जगह जगह भंडारा लाग्या,
हलवा पूड़ी साग,
प्रसादी खाल्यो भक्तो थाका,
खुल जावेला भाग,
जगह जगह सू भक्ता आया,
टोंक निवाई कोली को,
जयपुर दौसा गंगापुर से,
आया भक्त करौली का,
श्योपुर का भक्त आया,
प्यारा लागे बोली का,
चौमू और सीकर का आया,
तिलक लगाके रोळी का,
एक दो तीन चार,
जगदम्बा की जय जयकार,
एक दो तीन चार,
माता जी की जय जयकार।
भजन श्रेणी : माता रानी भजन (Mata Rani Bhajan)
Ek Do Teen Char Jagdamba ki Jay Jaikar
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Ek Do Tin Char,
Jagadamba Ki Jay Jayakar,
Ek Do Tin Char,
Mata Ji Ki Jay Jayakar.
दुर्गा की महिमा का स्तवन है, जो संपूर्ण सृष्टि की जननी और शक्तिमयी देवी के रूप में पूजी जाती हैं। "जगदम्बा" का अर्थ है "संसार की माता," जो न केवल अपने भक्तों की रक्षा करती हैं, बल्कि हर प्रकार के संकटों से मुक्त भी करती हैं। इस भजन में माँ की भव्य आराधना, उनकी सेवा करने वालों की भक्ति और उनके दरबार में भक्तों की उमड़ी भीड़ को खूबसूरती से प्रस्तुत किया गया है।
माँ जगदम्बा का स्थान शक्ति, करुणा और पालन-पोषण का प्रतीक है। उनके भक्त उनकी सहायता से जीवन के कष्टों से मुक्ति पाते हैं और संकटों का सामना साहसपूर्वक करते हैं। नवरात्रि के दौरान उनका विशेष पूजन और आराधना की जाती है, जिसमें वे अपने नौ रूपों में प्रकट होती हैं। यह पूजा न केवल आध्यात्मिक शुद्धि देती है, बल्कि जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, समृद्धि और स्वास्थ्य भी प्रदान करती है।
