गाथा कुबेर जी की लिरिक्स Gatha Kuber Ji Ki Lyrics, Kuber Gatha Bhajan Lyrics Hindi कुबेर भजन हिंदी लिरिक्स
हम भक्तों तुमको कुबेर जी की,
कथा सुनाते हैं,
पावन कथा सुनाते हैं,
हम शिव के भक्त इस महात्मा की,
गाथा गाते हैं,
पावन कथा सुनाते हैं।
जय जय कुबेर महाराज,
तुम्हे पूजे सकल समाज।
हे दीनों के सरताज,
प्रभु राखो हमारी लाज।
पिछले जन्म की, सुनों कहानी,
भक्तों तुम्हें सुनाएं,
भूख गरीबी के कारण,
वो शिव मंदिर में आय,
शिव मंदिर में देखा यहाँ,
घनघोर अँधेरा छाया,
अपने शरीर का एक कपड़ा,
उसने वहां जलाया,
दीप दान शिवजी ने समझ कर,
उसको किया स्वीकार,
लोगों ने उसे चोर समझकर,
जान से डाला मार,
मंदिर में जो किया उजाला,
उसने पुन्य कमाया,
अगले जन्म उसने तो,
इक राजा घर के में पाया,
जिसको दुनिया ठुकराए,
उसे शिवजी अपनाते हैं,
पावन कथा सुनाते हैं,
हम शिव के भक्त इस महात्मा की,
गाथा गाते हैं,
पावन कथा सुनाते हैं।
जय जय कुबेर महाराज,
तुम्हे पूजे सकल समाज।
हे दीनों के सरताज,
प्रभु राखो हमारी लाज।
जब युवराज जी बड़े हुए,
तो करता चमत्कार,
शिव भक्तों का चारों और वो,
करने लगा प्रचार,
दीप दान का महत्त्व उसने,
सबको ही समझाया,
शिव शम्भू की भक्ति का,
सबको ही ज्ञान बताया,
शिव मंदिर में जाकर सब ही,
करना दीप का दान,
यह सब करने से राजा को,
मिला बहुत सम्मान,
अगले जन्म फिर महात्मा ने,
ब्राह्मण के घर पाया,
सारा जीवन उसने तो,
शिव की सेवा में लगाया,
ऐसी तपस्या की कुबेर ने,
तुम्हे बताते हैं,
पावन कथा सुनाते हैं,
हम शिव के भक्त इस महात्मा की,
गाथा गाते हैं,
पावन कथा सुनाते हैं।
जय जय कुबेर महाराज,
तुम्हे पूजे सकल समाज।
हे दीनों के सरताज,
प्रभु राखो हमारी लाज।
शिव को मनाने लगा,
शरीर का सारा मांस चढ़ाया,
बची रह गई सिर्फ हड्डियां,
तब शिव जी को मनाया,
देख महात्मा की भक्ति,
तब प्रकटे भोलेनाथ,
जग जननी माँ पार्वती भी,
आई शिव के साथ,
रक्त आभूषण से शोभित,
ये माता रूप सुहाए,
करने लगा मैया से इर्ष्या,
संत ये बड़े बताएं,
होने लगी जब इस पे शंका,
माता क्रोध दिखाएं,
एक आँख फूटी कुबेर की,
भारी कष्ट उठाएं,
महिमा माँ की महात्मा कुछ,
समझ ना पाते हैं,
पावन कथा सुनाते हैं,
हम शिव के भक्त इस महात्मा की,
गाथा गाते हैं,
पावन कथा सुनाते हैं।
जय जय कुबेर महाराज,
तुम्हे पूजे सकल समाज।
हे दीनों के सरताज,
प्रभु राखो हमारी लाज।
कथा सुनाते हैं,
पावन कथा सुनाते हैं,
हम शिव के भक्त इस महात्मा की,
गाथा गाते हैं,
पावन कथा सुनाते हैं।
जय जय कुबेर महाराज,
तुम्हे पूजे सकल समाज।
हे दीनों के सरताज,
प्रभु राखो हमारी लाज।
पिछले जन्म की, सुनों कहानी,
भक्तों तुम्हें सुनाएं,
भूख गरीबी के कारण,
वो शिव मंदिर में आय,
शिव मंदिर में देखा यहाँ,
घनघोर अँधेरा छाया,
अपने शरीर का एक कपड़ा,
उसने वहां जलाया,
दीप दान शिवजी ने समझ कर,
उसको किया स्वीकार,
लोगों ने उसे चोर समझकर,
जान से डाला मार,
मंदिर में जो किया उजाला,
उसने पुन्य कमाया,
अगले जन्म उसने तो,
इक राजा घर के में पाया,
जिसको दुनिया ठुकराए,
उसे शिवजी अपनाते हैं,
पावन कथा सुनाते हैं,
हम शिव के भक्त इस महात्मा की,
गाथा गाते हैं,
पावन कथा सुनाते हैं।
जय जय कुबेर महाराज,
तुम्हे पूजे सकल समाज।
हे दीनों के सरताज,
प्रभु राखो हमारी लाज।
जब युवराज जी बड़े हुए,
तो करता चमत्कार,
शिव भक्तों का चारों और वो,
करने लगा प्रचार,
दीप दान का महत्त्व उसने,
सबको ही समझाया,
शिव शम्भू की भक्ति का,
सबको ही ज्ञान बताया,
शिव मंदिर में जाकर सब ही,
करना दीप का दान,
यह सब करने से राजा को,
मिला बहुत सम्मान,
अगले जन्म फिर महात्मा ने,
ब्राह्मण के घर पाया,
सारा जीवन उसने तो,
शिव की सेवा में लगाया,
ऐसी तपस्या की कुबेर ने,
तुम्हे बताते हैं,
पावन कथा सुनाते हैं,
हम शिव के भक्त इस महात्मा की,
गाथा गाते हैं,
पावन कथा सुनाते हैं।
जय जय कुबेर महाराज,
तुम्हे पूजे सकल समाज।
हे दीनों के सरताज,
प्रभु राखो हमारी लाज।
शिव को मनाने लगा,
शरीर का सारा मांस चढ़ाया,
बची रह गई सिर्फ हड्डियां,
तब शिव जी को मनाया,
देख महात्मा की भक्ति,
तब प्रकटे भोलेनाथ,
जग जननी माँ पार्वती भी,
आई शिव के साथ,
रक्त आभूषण से शोभित,
ये माता रूप सुहाए,
करने लगा मैया से इर्ष्या,
संत ये बड़े बताएं,
होने लगी जब इस पे शंका,
माता क्रोध दिखाएं,
एक आँख फूटी कुबेर की,
भारी कष्ट उठाएं,
महिमा माँ की महात्मा कुछ,
समझ ना पाते हैं,
पावन कथा सुनाते हैं,
हम शिव के भक्त इस महात्मा की,
गाथा गाते हैं,
पावन कथा सुनाते हैं।
जय जय कुबेर महाराज,
तुम्हे पूजे सकल समाज।
हे दीनों के सरताज,
प्रभु राखो हमारी लाज।
पार्वती जी के मन में फिर,
विचार ये आता है,
शिव से पूछे महात्मा क्यों,
बडबडाता है,
शिव जी बोले आपसे ये,
इर्ष्या करता है,
आपकी धन संम्पत्ति रूप से,
संत ये जलता है,
मैं इतना गरीब हूँ और ये,
इतने हैं धनवान,
जाने कैसी लीला करते हैं,
शंकर भगवान्,
दूर हुई मैया की शंका,
तब दिया वरदान,
महात्मा के तप के कारण,
रखा कुबेर ये नाम,
शिव के मित्र बन धन के,
राजा कहलाते हैं,
पावन कथा सुनाते हैं,
हम शिव के भक्त इस महात्मा की,
गाथा गाते हैं,
पावन कथा सुनाते हैं।
जय जय कुबेर महाराज,
तुम्हे पूजे सकल समाज।
हे दीनों के सरताज,
प्रभु राखो हमारी लाज।
विचार ये आता है,
शिव से पूछे महात्मा क्यों,
बडबडाता है,
शिव जी बोले आपसे ये,
इर्ष्या करता है,
आपकी धन संम्पत्ति रूप से,
संत ये जलता है,
मैं इतना गरीब हूँ और ये,
इतने हैं धनवान,
जाने कैसी लीला करते हैं,
शंकर भगवान्,
दूर हुई मैया की शंका,
तब दिया वरदान,
महात्मा के तप के कारण,
रखा कुबेर ये नाम,
शिव के मित्र बन धन के,
राजा कहलाते हैं,
पावन कथा सुनाते हैं,
हम शिव के भक्त इस महात्मा की,
गाथा गाते हैं,
पावन कथा सुनाते हैं।
जय जय कुबेर महाराज,
तुम्हे पूजे सकल समाज।
हे दीनों के सरताज,
प्रभु राखो हमारी लाज।
भजन श्रेणी : विविध भजन/ सोंग लिरिक्स हिंदी Bhajan/ Song Lyrics
गाथा कुबेर जी की | Gaatha Kuber Ji Ki | Dhanteras Special Bhajan 2022 | Mukesh Kumar | Full HD
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