प्रभु पार्श्व तेरा दरबार मेरे मन को लुभाता

प्रभु पार्श्व तेरा दरबार मेरे मन को लुभाता है

प्रभु पार्श्व तेरा दरबार,
मेरे मन को लुभाता है,
तेरी छवि देखकर दादा,
मुझे चैन आता है,
भैरव देव तेरा दरबार,
मेरे मन को लुभाता है,
तेरी छवि देखकर दादा,
मुझे चैन आता है,
क्या ख़ूब सजा सरकार,  
तेरी लेऊँ नजर उतार।

तेरे मुखड़े पे है नूर,
बरसे नैनों से अमीरस धार,
जिसे देख चाँद शर्माए,
ऐसा सजा मेरा दातार,
तेरी आंगिया में हीरा लाल,
शीश मुकुट तिलक है भाल,
लट धुंघराली गोरे गाल,
तेरे गल मोतियन की माल,
क्या ख़ूब सजा सरकार,  
तेरी लेऊँ नजर उतार।

तेरा दिव्य स्वरूप का दादा,
मैं कैसे करू बखान,
जब जब भी देखे तुझको,
तेरा रूप भुलाये भान,
मेरे तुमसे जुड़े ये तार,
तुझे दिल मे लेऊँ उतार,
तेरा सूरज ओ दिलबर,
तुझे हरपल रहा निहार,
क्या ख़ूब सजा सरकार,  
तेरी लेऊँ नजर उतार।

भजन श्रेणी : जैन भजन (Read More : Jain Bhajan)


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