राधा कृपा कटाक्ष स्तोत्र बेनिफिट्स राधा कृपा कटाक्ष स्तोत्र किसने लिखा है ? राधा कृपा कटाक्ष स्तोत्र बेनिफिट्स हिंदी :- ऐसी मान्यता है की राधा श्रीराधा कृपा कटाक्ष स्तोत्र की रचना स्वयं देवों के देव महादेव, भगवान शिव जी के द्वारा की गई है। शिव द्वारा श्री राधा कटाक्ष स्त्रोत को भगवान शिव जी ने माता पारवती जी को सुनाया था। श्री राधा कृपा कटाक्ष स्तोत्र का पाठ करने से श्री राधा जी की असीम कृपा प्राप्त होती है। सांसारिक इच्छाओं की पूर्ति के लिए होली पर श्री राधा कटाक्ष स्त्रोत का पाठ किया जाता है और इसके अतिरिक्त इसका पाठ अष्टमी, दशमी, एकादशी, त्रयोदशी और पूर्णिमा तिथि को भी करना लाभकारी होता है।
मुनीन्द्र वृन्द वन्दिते त्रिलोक शोक हारिणि प्रसन्न-वक्त्र-पण्कजे निकुञ्ज-भू-विलासिनि व्रजेन्द्र भानु नन्दिनि व्रजेन्द्र सूनु संगते कदा करिष्यसीह मां कृपाकटाक्ष भाजनम् ॥१॥ अशोक वृक्ष वल्लरी वितान मण्डप स्थिते प्रवालबाल पल्लव प्रभारुणांघ्रि कोमले । वराभयस्फुरत्करे प्रभूतसम्पदालये कदा करिष्यसीह मां कृपाकटाक्ष भाजनम् ॥२॥ अनङ्ग-रण्ग मङ्गल-प्रसङ्ग-भङ्गुर-भ्रुवां सविभ्रमं ससम्भ्रमं दृगन्त बाणपातनैः । निरन्तरं वशीकृतप्रतीतनन्दनन्दने कदा करिष्यसीह मां कृपाकटाक्ष भाजनम् ॥३॥ तडित् सुवर्ण चम्पक प्रदीप्त गौर विग्रहे मुख प्रभा परास्त कोटि शारदेन्दुमण्डले । विचित्र-चित्र सञ्चरच्चकोर-शाव-लोचने कदा करिष्यसीह मां कृपाकटाक्ष भाजनम् ॥४॥ मदोन्मदाति यौवने प्रमोद मान मण्डिते प्रियानुराग रञ्जिते कला विलास पण्डिते । अनन्यधन्य कुञ्जराज्य कामकेलि कोविदे कदा करिष्यसीह मां कृपाकटाक्ष भाजनम् ॥५॥ अशेष हावभाव धीरहीरहार भूषिते प्रभूतशातकुम्भ कुम्भकुम्भि कुम्भसुस्तनि । प्रशस्तमन्द हास्यचूर्ण पूर्णसौख्य सागरे कदा करिष्यसीह मां कृपाकटाक्ष भाजनम् ॥६॥ मृणाल-वाल-वल्लरी तरङ्ग-रङ्ग-दोर्लते लताग्र लास्य लोल नील लोचनावलोकने । ललल्लुलन्मिलन्मनोज्ञ मुग्ध मोहिनाश्रिते कदा करिष्यसीह मां कृपाकटाक्ष भाजनम् ॥७॥ सुवर्णमलिकाञ्चित त्रिरेख कम्बु कण्ठगे त्रिसूत्र मङ्गली-गुण त्रिरत्न-दीप्ति दीधिते । सलोल नीलकुन्तल प्रसून गुच्छ गुम्फिते कदा करिष्यसीह मां कृपाकटाक्ष भाजनम् ॥८॥ नितम्ब बिम्ब लम्बमान पुष्पमेखलागुणे प्रशस्तरत्न-किङ्किणी-कलाप-मध्य मञ्जुले । करीन्द्र शुण्डदण्डिका वरोहसौभगोरुके कदा करिष्यसीह मां कृपाकटाक्ष भाजनम् ॥९॥ अनेक मन्त्रनाद मञ्जु नूपुरारव स्खलत् समाज राजहंस वंश निक्वणाति गौरवे । विलोलहेम वल्लरी विडम्बिचारु चङ्क्रमे कदा करिष्यसीह मां कृपाकटाक्ष भाजनम् ॥१०॥ अनन्त कोटि विष्णुलोक नम्र पद्मजार्चिते हिमाद्रिजा पुलोमजा विरिञ्चजा-वरप्रदे । अपार सिद्धि ऋद्धि दिग्ध सत्पदाङ्गुली-नखे कदा करिष्यसीह मां कृपाकटाक्ष भाजनम् ॥११॥ मखेश्वरि क्रियेश्वरि स्वधेश्वरि सुरेश्वरि त्रिवेद भारतीश्वरि प्रमाण शासनेश्वरि । रमेश्वरि क्षमेश्वरि प्रमोद काननेश्वरि व्रजेश्वरि व्रजाधिपे श्रीराधिके नमोस्तुते ॥१२॥ इती ममद्भुतं-स्तवं निशम्य भानुनन्दिनी करोतु सन्ततं जनं कृपाकटाक्ष-भाजनम् । भवेत्तदैव सञ्चित त्रिरूप कर्म नाशनं लभेत्तदा व्रजेन्द्र सूनु मण्डल प्रवेशनम् ॥१३॥ राकायां च सिताष्टम्यां दशम्यां च विशुद्धधीः । एकादश्यां त्रयोदश्यां यः पठेत्साधकः सुधीः ॥१४॥ यं यं कामयते कामं तं तमाप्नोति साधकः । राधाकृपाकटाक्षेण भक्तिःस्यात् प्रेमलक्षणा ॥१५॥ ऊरुदघ्ने नाभिदघ्ने हृद्दघ्ने कण्ठदघ्नके । राधाकुण्डजले स्थिता यः पठेत् साधकः शतम् ॥१६॥ तस्य सर्वार्थ सिद्धिः स्याद् वाक्सामर्थ्यं तथा लभेत् । ऐश्वर्यं च लभेत् साक्षाद्दृशा पश्यति राधिकाम् ॥१७॥ तेन स तत्क्षणादेव तुष्टा दत्ते महावरम् । येन पश्यति नेत्राभ्यां तत् प्रियं श्यामसुन्दरम् ॥१८॥ नित्यलीला प्रवेशं च ददाति श्री-व्रजाधिपः । अतः परतरं प्रार्थ्यं वैष्णवस्य न विद्यते ॥१९॥ ॥ इति श्रीमदूर्ध्वाम्नाये श्रीराधिकायाः कृपाकटाक्षस्तोत्रं सम्पूर्णम ॥ Radha kripa kataksh stotra benefits राधा कृपा कटाक्ष के लाभ महत्त्व :- राधा रानी की कृपा प्राप्त करने के लिए "राधा कृपा कटाक्ष" का पाठ करना लाभकारी होता है। इसके पाठ करने से श्री कृष्ण जी का स्वतः ही आशीर्वाद प्राप्त होता है और यही कारण है की श्रीराधाजी की स्तुतियों में श्री राधा कृपाकटाक्ष स्तोत्र( radha kripa kataksh stotra) का स्थान सर्वोच्च है। मान्यता है की यह स्तोत्र ‘ऊर्ध्वामनायतन्त्र’ से लिया गया है। इसके पाठ से अवश्य ही नित्यनिकुंजेश्वरि श्रीराधा की कृपा आपको प्राप्त होगी।
श्रीराधा कृपा कटाक्ष स्तोत्र | Shri Radha Kripa Kataksh Stotra
राधा साध्यम साधनं यस्य राधा, मंत्रो राधा मन्त्र दात्री च राधा, सर्वं राधा जीवनम् यस्य राधा, राधा राधा वाचिकिम तस्य शेषम। मुनीन्दवृन्दवन्दिते त्रिलोकशोकहारिणी, प्रसन्नवक्त्रपंकजे निकंजभूविलासिनी, व्रजेन्दभानुनन्दिनी व्रजेन्द सूनुसंगते, कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष-भाजनम् (1) अशोकवृक्ष वल्लरी वितानमण्डपस्थिते, प्रवालज्वालपल्लव प्रभारूणाङि्घ् कोमले, वराभयस्फुरत्करे प्रभूतसम्पदालये, कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष-भाजनम्। (2) अनंगरंगमंगल प्रसंगभंगुरभ्रुवां, सुविभ्रम ससम्भ्रम दृगन्तबाणपातनैः, निरन्तरं वशीकृत प्रतीतनन्दनन्दने, कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष भाजनम्। (3) तड़ित्सुवणचम्पक प्रदीप्तगौरविगहे, मुखप्रभापरास्त-कोटिशारदेन्दुमण्ङले, विचित्रचित्र-संचरच्चकोरशावलोचने, कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष भाजनम्। (4) मदोन्मदातियौवने प्रमोद मानमणि्ते, प्रियानुरागरंजिते कलाविलासपणि्डते, अनन्यधन्यकुंजराज कामकेलिकोविदे, कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष-भाजनम्। (5) अशेषहावभाव धीरहीर हार भूषिते, प्रभूतशातकुम्भकुम्भ कुमि्भकुम्भसुस्तनी, प्रशस्तमंदहास्यचूणपूणसौख्यसागरे, कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष भाजनम्। (6) मृणालबालवल्लरी तरंगरंगदोलते, लतागलास्यलोलनील लोचनावलोकने, ललल्लुलमि्लन्मनोज्ञ मुग्ध मोहनाश्रये, कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष भाजनम्। (7) सुवर्ण्मालिकांचिते त्रिरेखकम्बुकण्ठगे, त्रिसुत्रमंगलीगुण त्रिरत्नदीप्तिदीधिअति, सलोलनीलकुन्तले प्रसूनगुच्छगुम्फिते, कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष भाजनम्। (8) नितम्बबिम्बलम्बमान पुष्पमेखलागुण, प्रशस्तरत्नकिंकणी कलापमध्यमंजुले, करीन्द्रशुण्डदण्डिका वरोहसोभगोरुके, कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष भाजनम्। (9) अनेकमन्त्रनादमंजु नूपुरारवस्खलत्, समाजराजहंसवंश निक्वणातिग, विलोलहेमवल्लरी विडमि्बचारूचं कमे, कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष-भाजनम्। (10) अनन्तकोटिविष्णुलोक नमपदमजाचिते, हिमादिजा पुलोमजा-विरंचिजावरप्रदे, अपारसिदिवृदिदिग्ध -सत्पदांगुलीनखे, कदा करिष्यसीह मां कृपा -कटाक्ष भाजनम्। (11) मखेश्वरी क्रियेश्वरी स्वधेश्वरी सुरेश्वरी, त्रिवेदभारतीयश्वरी प्रमाणशासनेश्वरी, रमेश्वरी क्षमेश्वरी प्रमोदकाननेश्वरी, ब्रजेश्वरी ब्रजाधिपे श्रीराधिके नमोस्तुते। (12) इतीदमतभुतस्तवं निशम्य भानुननि्दनी, करोतु संततं जनं कृपाकटाक्ष भाजनम्, भवेत्तादैव संचित-त्रिरूपकमनाशनं, लभेत्तादब्रजेन्द्रसूनु मण्डलप्रवेशनम्। (13)
भजन श्रेणी : श्री राधेरानी भजन (Radha Rani Bhajan) भजन श्रेणी : राधा कृष्णा भजन (Radha Krishna Bhajan)
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श्री राधा कृपा कटाक्ष - Shree Radha Kripa kataksh - Sadhvi Purnima Ji - Radha Rani Song