ॐ जय शिव ओंकारा भजन लिरिक्स Om Jay Shiv Omkara
ॐ जय शिव ओंकारा भजन Om Jay Shiv Omkara Shiv bhajan / Aarti by Singer: Y.K. Vij
आज सोमवार का दिन देवाधिदेव महादेव का दिन है। यह दिन विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित है। इस दिन उनकी पूजा से ना केवल उनके भक्तों को शांति और आशीर्वाद मिलता है, बल्कि भोलेनाथ की विशेष कृपा भी प्राप्त होती है। भगवान शिव के आशीर्वाद से सभी दुखों का नाश होता है और साधक को जीवन में सुख-समृद्धि का अनुभव होता है।
सोमवार के दिन शिव आरती का पाठ विशेष रूप से फलदायी होता है। इसे पढ़ने से भक्त के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और उनकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। शिव आरती में भगवान शिव की महिमा का वर्णन किया गया है, जिसमें उनकी अनंत शक्तियों, रूपों और गुणों का उल्लेख किया जाता है। इस आरती के जाप से भक्तों के मन में श्रद्धा और भक्ति का संचार होता है, और भगवान शिव के प्रति अडिग विश्वास मजबूत होता है। इस दिन शिव आरती का पाठ करने से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं और भगवान शिव की असीम कृपा मिलती है।
जय शिव ओंकारा,
ॐ जय शिव ओंकारा,
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव,
अर्द्धांगी धारा,
ॐ जय शिव ओंकारा।
जय शिव ओंकारा,
ॐ जय शिव ओंकारा,
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव,
अर्द्धांगी धारा,
ॐ जय शिव ओंकारा।
एकानन चतुरानन,
पंचानन राजे,
हंसानन गरुड़ासन,
वृषवाहन साजे,
ॐ जय शिव ओंकारा।
दो भुज चार चतुर्भुज,
दस भुज अति सोहे,
तीनों रूप निरखते,
त्रिभुवन जन मोहे,
ॐ जय शिव ओंकारा।
अक्षमाला बनमाला,
मुण्डमाला धारी,
चंदन मृगमद सोहे,
भाले शुभकारी,
ॐ जय शिव ओंकारा।
श्वेताम्बर पीताम्बर,
बाघम्बर अंगे,
सनकादिक ब्रह्मादिक,
भूतादिक संगे,
ॐ जय शिव ओंकारा।
कर के मध्य कमंडल,
चक्र त्रिशूल धरता,
सुख करता दुख हरता,
जग पालन करता,
ॐ जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव,
जानत अविवेका,
प्रणवाक्षर के मध्य,
ये तीनों एका,
ॐ जय शिव ओंकारा।
त्रिगुण स्वामी जी जी आरती,
जो कोई जन गावे,
स्वामी प्रेम सहित गावे,
कहता शिवानन्द स्वामी,
वांछित फल पावे,
ॐ जय शिव ओंकारा।
जय शिव ओंकारा,
ॐ जय शिव ओंकारा,
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव,
अर्द्धांगी धारा,
ॐ जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव,
अर्द्धांगी धारा,
ॐ जय शिव ओंकारा।
जय शिव ओंकारा,
ॐ जय शिव ओंकारा,
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव,
अर्द्धांगी धारा,
ॐ जय शिव ओंकारा।
एकानन चतुरानन,
पंचानन राजे,
हंसानन गरुड़ासन,
वृषवाहन साजे,
ॐ जय शिव ओंकारा।
दो भुज चार चतुर्भुज,
दस भुज अति सोहे,
तीनों रूप निरखते,
त्रिभुवन जन मोहे,
ॐ जय शिव ओंकारा।
अक्षमाला बनमाला,
मुण्डमाला धारी,
चंदन मृगमद सोहे,
भाले शुभकारी,
ॐ जय शिव ओंकारा।
श्वेताम्बर पीताम्बर,
बाघम्बर अंगे,
सनकादिक ब्रह्मादिक,
भूतादिक संगे,
ॐ जय शिव ओंकारा।
कर के मध्य कमंडल,
चक्र त्रिशूल धरता,
सुख करता दुख हरता,
जग पालन करता,
ॐ जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव,
जानत अविवेका,
प्रणवाक्षर के मध्य,
ये तीनों एका,
ॐ जय शिव ओंकारा।
त्रिगुण स्वामी जी जी आरती,
जो कोई जन गावे,
स्वामी प्रेम सहित गावे,
कहता शिवानन्द स्वामी,
वांछित फल पावे,
ॐ जय शिव ओंकारा।
जय शिव ओंकारा,
ॐ जय शिव ओंकारा,
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव,
अर्द्धांगी धारा,
ॐ जय शिव ओंकारा।
भजन श्रेणी : शिव भजन ( Shiv Bhajan) शिव जी के सभी भजन देखने के लिए क्लिक करें.
|
Author - Saroj Jangir
इस ब्लॉग पर आप पायेंगे मधुर और सुन्दर भजनों का संग्रह । इस ब्लॉग का उद्देश्य आपको सुन्दर भजनों के बोल उपलब्ध करवाना है। आप इस ब्लॉग पर अपने पसंद के गायक और भजन केटेगरी के भजन खोज सकते हैं....अधिक पढ़ें। |
