तुम भजो हरि का नाम कर्मों का साथी कोई नहीं
तुम भजो हरि का नाम,
कर्मों का साथी कोई नहीं,
तुम भजो हरि का नाम,
कर्मों का साथी कोई नहीं।
एक डाल पे दो फुल थे,
दोनों के न्यारे न्यारे भाग,
कर्मों का साथी कोई नहीं,
तुम भजो हरि का नाम,
कर्मों का साथी कोई नहीं।
एक माटी के दो दिये थे,
दोनों के न्यारे न्यारे भाग,
कर्मों का साथी कोई नहीं,
तुम भजो हरि का नाम,
कर्मों का साथी कोई नहीं।
एक जले शिव के मंदिर में,
और एक जले सुबह शाम,
कर्मों का साथी कोई नहीं,
तुम भजो हरि का नाम,
कर्मों का साथी कोई नहीं।
एक गाय के दो बछड़े थे,
दोनों के न्यारे न्यारे भाग,
कर्मों का साथी कोई नहीं,
तुम भजो हरि का नाम,
कर्मों का साथी कोई नहीं।
एक बना शिवजी का नन्दी,
एक बंजारे का बैल,
कर्मों का साथी कोई नहीं,
तुम भजो हरि का नाम,
कर्मों का साथी कोई नहीं।
एक मात के दो बेटे थे,
दोनों के न्यारे न्यारे भाग,
कर्मों का साथी कोई नहीं,
तुम भजो हरि का नाम,
कर्मों का साथी कोई नहीं।
एक बना नगरी का राजा,
एक मांग रहा है भीख,
कर्मों का साथी कोई नहीं,
तुम भजो हरि का नाम,
कर्मों का साथी कोई नहीं।
कहत कबीर सुनो भई साधो,
तुम हरि भजो उतरो पार,
कर्मों का साथी कोई नहीं,
तुम भजो हरि का नाम,
कर्मों का साथी कोई नहीं।
तुम भजो हरि का नाम,
कर्मों का साथी कोई नहीं,
तुम भजो हरि का नाम,
कर्मों का साथी कोई नहीं।भजन श्रेणी : कृष्ण भजन (Krishna Bhajan)
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