बालक नाथ जी की आरती लिरिक्स Balak Nath Ji Ki Aarti Lyrics

बालक नाथ जी की आरती लिरिक्स Balak Nath Ji Ki Aarti Lyrics, Balak Nath Aarti Om Jay Kaladhari

सिद्ध संत बाबा बालक नाथ जी के इस आरती को सुनिए, आजीवन ब्रह्मचर्य का पालन करने बाबा बालक नाथ जी के बारे में यह मान्यता है की बाबा बालक नाथ जी  भगवान शिव के ही अवतार थे |ॐ जय कलाधारी हरे,
स्वामी जय पौणाहारी हरे,
भक्त जनों की नैया,
दस जनों की नैया भव से पार करे,
ॐ जय कलाधारी हरे...

बालक उमर सुहानी, नाम बालक नाथा,
अमर हुए शंकर से, सुन के अमर गाथा ।
ॐ जय कलाधारी हरे...

शीश पे बाल सुनैहरी, गले रुद्राक्षी माला,
हाथ में झोली चिमटा, आसन मृगशाला ।
ॐ जय कलाधारी हरे...

सुंदर सेली सिंगी, वैरागन सोहे,
गऊ पालक रखवालक, भगतन मन मोहे ।
ॐ जय कलाधारी हरे...

अंग भभूत रमाई, मूर्ति प्रभु रंगी,
भय भज्जन दुःख नाशक, भरथरी के संगी ।
ॐ जय कलाधारी हरे...

रोट चढ़त रविवार को, फल, फूल मिश्री मेवा,
धुप दीप कुदनुं से आनंद सिद्ध देवा ।
ॐ जय कलाधारी हरे...

भक्तन हित अवतार लियो, प्रभु देख के कल्लू काला,
दुष्ट दमन शत्रुहन, सबके प्रतिपाला ।
ॐ जय कलाधारी हरे...

श्री बालक नाथ जी की आरती, जो कोई नित गावे,
कहते है सेवक तेरे, मन वाच्छित फल पावे ।
ॐ जय कलाधारी हरे...

ॐ जय कलाधारी हरे, स्वामी जय पौणाहारी हरे,
भक्त जनों की नैया, दस जनों की नैया भव से पार करे,
ॐ जय कलाधारी हरे ।

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Baba Balak Nath Ji Ki Aarti | बालक नाथ जी की आरती

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