इसा आदमी कोण जगत मैं, जो नहीं किसी तै छल कर ग्यां, छल की दुनियाँ भरी पड़ी सै आज करै कोई कल कर ग्या इस्या आदमी कौण जग़त में, जो नहीं किसी तै छल कर ग्यां, छल की दुनिया भरी पड़ी सै, आज करै कोई कल कर ग्या,
राजा दशरथ राम चंद्र के, सर पै ताज धरण लाग्या, कैकेयी नै छल करया वो, जंगल बीच फिरण लाग्या, बणकै मारिच मृग कपट जब, राम कुटी पे चरण लाग्या, पड़े अकल पै पत्थर ज्ञानी, रावण सिया हरण लाग्या, वा सिया छलै तै लंका जलगी, खुद करणी का फल भर ग्यां, राम चंद्र भी छल कर कै भाई, बाली नै घायल कर ग्या, इसा आदमी कोण जगत में, जो नहीं किसी तै छल कर ग्यां, छल की दुनिया भरी पड़ी सै, आज करै कोई कल कर ग्या, छल की दुनिया भरी पड़ी सै, आज करै कोई कल कर ग्या,
दुर्योधन नै धर्मपुत्र को, छल का जुआ दिया खिला, राज पाट धन माल ख़जाना, माटी के माँह दिया मिला कौरवों ने पाण्डवों को, दिसौटा भी दिया दिला ऐसे तीर चले भाइयो के, हिन्द का नक्शा दिया हिला, हो चक्क्रव्यू भी छल तै टूट्याँ, अभिमन्यु हलचल कर ग्या अठारह दिन के घोर युद्ध मैं, अठारहअक्षौहिणी दल मर ग्या इस्या आदमी कौण जग़त में, जो नहीं किसी तै छल कर ग्या छल की दुनिया भरी पड़ी सै आज करै कोई कल कर ग्या छल की दुनिया भरी पड़ी सै आज करै कोई कल कर ग्या
कुंती देख मौत अर्जुन की, सूत्या बेटा दिया जगा, बोली बेटा कर्ण मेरे और, झट छाती कै लिया लगा, वचन भरा कै जान मांग ली, माता करगी कोट दगा जान बक्श दी दानवीर नै, आगै करतस दिए बगा इंद्रदेव भिखारी बणकै, सूर्य का कवच कुण्डल हर ग्या, रथ का पहिया धँसा दिया वो कृष्ण जी दल दल कर ग्या, इस्या आदमी कौण जग़त में, जो नहीं किसी तै छल कर ग्या, छल की दुनिया भरी पड़ी सै, आज करै कोई कल कर ग्या, छल की दुनिया भरी पड़ी सै आज करै कोई कल कर ग्या
हरिशचंद्र भी छल कर ग्या, विश्वामित्र विश्वास नहीं छल के कारण तीनो बिकगे, पेट भरण की आस नहीं फेर ऋषि नै विषयर बणकै के, डस्या कँवर रोहतास नहीं कफ़न तलक भी नहीं मिल्या और, फूंकी बेटे की लाश नहीं, अठाइस दिन भूखा रह कै, भंगी कै घर जल भर ग्या, मुन्सी जाट धर्म कारण, सत हटकै नै उज्वज कर ग्या, इस्या आदमी कौण जग़त में, जो नहीं किसी तै छल कर ग्या छल की दुनिया भरी पड़ी सै आज करै कोई कल कर ग्या छल की दुनिया भरी पड़ी सै आज करै कोई कल कर ग्या