कन्हैया की धुन में बहा जा रहा है, जहां श्याम है मन वहां जा रहा है, कन्हैया की धुन में बहा जा रहा है, जहां श्याम है मन वहां जा रहा है।
मगन जब से मोहन में मन हो गया है, कहूं क्या यह कितना प्रसन्न हो गया है, यह दिन रात बस झूमता जा रहा है, कन्हैया की धुन में बहा जा रहा है, जहां श्याम है मन वहां जा रहा है।
लगी ऐसी लो सांवरे से मिलने की, रही ना जरा सी भी सुध अपने तन की, छवि शाम की देखता जा रहा है, कन्हैया की धुन में बहा जा रहा है, जहां श्याम है मन वहां जा रहा है।
तनिक सांस गोविंद के रंग में रंगा के, यह खड़ताल इन धड़कनों की बजा के, हृदय प्रेम में डूबता जा रहा है, कन्हैया की धुन में बहा जा रहा है, जहां श्याम है मन वहां जा रहा है।
अति सुंदर भजन #जहां श्याम है मन वहां जा रहा है shriharidiwane
कन्हैया की धुन में बहा जा रहा है जहां श्याम है मन वहां जा रहा है मगन जब से मोहन में मन हो गया है कहूं क्या यह कितना प्रसन्न हो गया है यह दिन रात बस झूमता जा रहा है कन्हैया की धुन में
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