संध्या आरती करत सहेली लिरिक्स Sandhya Aarti Karat Saheli
संध्या आरती करति सहेली,
(संध्या आरती करत सहेली)
श्यामा श्याम गुण गर्व सहेली ।।
निरखि निरखि छवि नैन नवेली,
अंग अंग रंगरलि अलबेली ।।
सोहत उर चौवत चंबेली,
रसरंजन राजति रतिरेली ।।
तरु श्रृंगार प्रेम की बेली,
श्रीहरि प्रिया हरत मन हेली ।।
Krishna Sandhya Aarti / Sandhya Aarti Karat Saheli संध्या आरती करत सहेली। स्वर: स्वामीश्रीफतेहकृष्ण जी
Sandhya aarti by Swami fatehKrishna ji in vrindavan
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