उलट पलट कर दी लंका, वीर बलवान जी, उलट पलट कर दी लंका, वीर बलवान जी, पाताल विजय करके आये, उल्टे हनुमान जी, पाताल विजय करके आये, उल्टे हनुमान जी, जय जय श्री राम की, जय हनुमान की, जय जय श्री राम की, जय हनुमान की।
इंदौर उज्जैन के ही बीच, नगर एक प्यारा, नाम सांवेर उस नगर का, है बड़ा न्यारा, यहां सांवेर में ही, उल्टे हनुमान बसे,
हुये पाताल विजय, मेरे हनुमान कैसे, रूप यहां बजरंग का, करता हैरान जी, पाताल विजय करके आये, उल्टे हनुमान जी, जय जय श्री राम, जय जय श्री राम।
अहिरावण महिरावण, दैत्य ऐसे मिले, राम लक्ष्मण को वो, पाताल छल से ले के चले, राम लक्ष्मण के पीछे, बनके उनकी ढाल चलें, यही से उल्टे होकर, बजरंग पाताल चले, नाम तभी हुआ इनका, उल्टे हनुमान जी,
पाताल विजय करके आये, उल्टे हनुमान जी, जय जय श्री राम, जय जय श्री राम।
दोनों दानव को ही, पाताल जाके मार दिया, राम लक्ष्मण को उनके, बंधन से मुक्त किया, तीनों ही लोक हनुमान की, जय कार करें, इसी खुशी में हनुमान, अष्टमी भी मने, इनके जैसा सेवक ना, दूजा महान जी, पाताल विजय करके आये, उल्टे हनुमान जी, जय जय श्री राम, जय जय श्री राम।
काम मुश्किल से भी मुश्किल, सभी आसान करें, जो कोई भी ना कर सके, वो हनुमान करें, करे जो भक्ति मन से, इन पर विश्वास करें, मिटा के कष्ट उनके, बाबा पूरी आस करें, सारे जग में ऊंची, जयंत इनकी शान जी, पाताल विजय करके आये, उल्टे हनुमान जी, जय जय श्री राम, जय जय श्री राम।
उलट पलट कर दी लंका, वीर बलवान जी, उलट पलट कर दी लंका, वीर बलवान जी, पाताल विजय करके आये, उल्टे हनुमान जी, पाताल विजय करके आये, उल्टे हनुमान जी, जय जय श्री राम की, जय हनुमान की, जय जय श्री राम की, जय हनुमान की।
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