जय हो जय रघुराई भजन

जय हो जय रघुराई भजन

राम भजो श्रीराम मिलेंगे,
बनेंगे बिगड़े काम,
रोग दोष सब पाप मिटेंगे,
कृपा निधान हैं राम।

जय जय जय हो जय रघुराई,
तीनो लोक तेरी प्रभुताई,
दशरथ नंदन अजर बिहारी,
हरउ नाथ मम संकट भारी।

आपका सेवक आपके सन्मुख,
हर लो रघुवर मेरे हर दुख,
मैं सेवक तुम मेरे स्वामी,
मैं मूरख तुम अंतरयामी।

कृपासिंधु हे कौशल नंदन,
कलह क्लेश का कर दो मर्दन,
आप सुने ना तो कौन सुनेगा,
मै तड़पूगा जग ये हंसेगा।

शरण गहे की राखी लाज,
आप सदा संतन के साथ,
आप शिरोमणी रघूवंश के,
आप विधाता जीव अंश के।

जा पर कृपा आप की होती,
ता पर कृपा जगत की होती,
आपको जपा जो वाल्मिकी ने,
रामायण को पढ़ा सभी ने।

तुलसीदास पर कृपा जो कीन्ही,
रामचरितमानस रच दीन्ही,
हनुमत को दीन्हा वरदान,
अजर अमर हुए श्री हनुमान।

अमर विभीषण आपने कीन्हे,
झूठे बेर शबरी सौ लीन्हे,
सुग्रीव का संताप मिटाया,
और बाली को पाठ पढ़ाया।

आपने जो सागर ललकारा,
सागर स्वयं मिलन को धाया,
विनती कीन्ही कर जोर प्रभु,
क्षमा करो प्रभु बांधो सेतु।

राम नाम महीमा अति भारी,
राम ही राम जपे त्रिपुरारी,
रामाषिश ऋषी मुनि पाई,
रघुवर मूरत हिए समायी।

दो अक्षर में चारों धाम,
दूजा ना कोई राम समान,
त्रेता युग प्रभु राम आगमन,
सरयु जल का कीन्ह आचमन।

दूर समाज की करन बुराई,
नर के रूप आए रघुराई,
रिश्तों की ये डोर बनाई,
जग को बांधा स्वयं निभायी।

पिता पुत्र का कैसा रिश्ता,
आपके द्वारा जग ने समझा,
रघुकुल रीत आप निभाई,
दशरथ जी की आन बचाई।

नल और नील ने सेतु बांधा,
राम नाम लिख पत्थर डाला,
सागर पार हुए रघुराई,
लंका में हुई त्राही त्राही।

हनुमत ने जो भरी हुंकार,
धरा गगन हुई जय जयकार,
अंजनि पुत्र क्रोध में आये,
अगणित योद्धा मार गिराये।

राम और रावण युद्ध प्रमाण,
पुण्य हरे पापी के प्राण,
लंकेश्वर ने भी स्वीकारा,
अहंकार ने मुझ को मारा।

कैसी प्रजा हो कैसा राजा,
अवध सी प्रजा राम सा राजा,
राम राज की नींव जो डाली,
दूर हुई जग की बेहाली।

राम नाम कलियुग जो जपें,
पूर्ण सकल हो काज,
भक्त सुधाकर विनय करें,
स्वीकारो महाराज।

भजन श्रेणी : राम भजन (Ram Bhajan)


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