देव नारायण जी की आरती

देव नारायण जी की आरती

नारायण सांझ पड़ी ने दिन गयो रे भवन में,
संध्या फूली ने दिन गयो रे भवन में।
थारी झालर मोगर~, थारी झालर मोगर~,
थारी भवरी री घोड़ी बड़े अच्छे म्हारा देव~।।
होवे रे नारायण थारी आरती।।

नारायण धोलो रे घोड़िलो ने धोलो देवरों,
धनी म्हारा धोलो रे घोड़िलो ने धोलो देवरों।
थाने धोली~धोली ध्वजा लहराई दूं म्हारा देव~।।
होवे रे नरायण थारी आरती।।

नारायण घड़ी दो घड़ी की होवे आरती,
धनी म्हारा घड़ी दो घड़ी की होवे आरती।
थारी आरती में सोलह सिंगार हो देव~।।
होवे रे नारायण थारी आरती।।

नारायण असला बोले ने थारे मसला भी बोले,
असला बोले ने राणो मसला भी बोले।
थारा देवरारो~, थारा मंडरियारो~,
थारा देवरारो मान बढ़ावजे म्हारा देव~।।
होवे रे नारायण थारी आरती।।

नारायण ढोल~नगाड़ा ने खेड़ा बजीरिया रे धर्मी,
ढोल~नगाड़ा ने खेड़ा बजीरिया।
थारी आरती में झालर को झनकारो हो देव~।।
होवे रे नारायण थारी आरती।।

नारायण दूध~पानी का तेरो नाहना,
धनी म्हारा दूध~पानी का तेरो नाहना।
थारो वार तो मान्यो है शनिवार हो देव~।।
होवे रे नारायण थारी आरती।।

नारायण कंचन थाल कपूर की बाती,
बाबा कंचन थाल कपूर की बाती।
थारे जगमग जोत जलम्मा हो देव~।।
होवे रे नारायण थारी आरती।।

नारायण सांझ पड़ी ने दिन गयो रे भवन में,
संध्या फूली ने दिन गयो रे भवन में।
थारी झालर मोगर~, थारी झालर मोगर~,
थारी भवरी री घोड़ी बड़े अच्छे म्हारा देव~।।
होवे रे नारायण थारी आरती।।
 
ॐ नमों देवनारायणाय ,
सर्व मनोरथ पूर्णाय ।
अनन्त दुख भंजनाय ,
भोज नन्दाय नमो नमः ।
नमो देवनारायणं ,
सर्वत्र सदा सहायकम् ,
भक्तानामभय भंजनम् ,
भोग मोक्ष फलदायकम् ॥
ॐ नमो देवनारायण नमो नमः 
 
जय श्री देव हरे ,
स्वामी जय श्री देव हरे ।
जनम जनम के पातक ,
क्षण में दूर करे ।

उत्पत्ति पालन संहार से ,
प्रभु क्रीड़ा करता ।
देव अर्थ का निशदिन ,
जो हृदये धरता ।।
जय श्री देव

सब प्रपंच का सुन लो ,
ईश्वर आधारा ।
नारायण शब्दार्थ लख ,
हरि उर धारा ॥
जय श्री देव

देव है ब्रह्मा विष्णु ,
और शंकर देवा ।
देव है गुरु पितृ माता ,
जान करो सेवा ।
जय श्री देव

जब जब धर्म नशावे ,
पाप बढ़े भारी ।
तब तब प्रगटो स्वामी ,
भक्तन हितकारी ॥
जय श्री देव

धन विद्या तुम देते ,
तुम सब कुछ दाता ।
तुम बिन और नाँहि ,
कोई नहीं आता ।
जय श्री देव

इष्ट देव सब जग के ,
हो अन्तर्यामी ।
प्राणी मात्र की रक्षा ,
करते तुम स्वामी ।
जय श्री देव

देवनारायण की आरती ,
हित चित से जो गावे ।
भैरा राम मन वांछित ,
फल निश्चित पावे ॥
जय श्री देव 



आरती श्री देवनारायण भगवान री | प्रकाश गाँधी | देवनारायण जी की आरती |Aarti Devnarayan Bhagwaan Ri |

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Saroj Jangir Author Admin - Saroj Jangir

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