Shiv Hi Base Hain Kan Kan Me Bhajan by Sanjay Singh Chouhan
शिव ही बसे हैं कण कण में, केदार हो या काशी, द्वादश ज्योतिर्लिंग हैं, हर दिशा में है कैलाशी, शिव ही बसे हैं कण कण में, केदार हो या काशी, शिव ही बसे हैं कण कण में, केदार हो या काशी।
प्रभु राम भी करें पूजा जिनकी, रामेश्वर कहलाये, कृष्ण प्रेम में नाचे भोले, गोपेश्वर बन जाये, अमलेश्वर घूमेश्वर शंकर, भीमेश्वर अविनाशी, द्वादश ज्योतिर्लिंग हैं, हर दिशा में है कैलाशी, शिव ही बसे हैं कण कण में, केदार हो या काशी, शिव ही बसे हैं कण कण में, केदार हो या काशी।
भस्म हैं ओढ़े देह पर महिमा, महाकाल की भारी, सोमनाथ मल्लिकार्जुन शंभू, नागेश्वर त्रिपुरारी, बैरागी जोगी हैं, ऊंचे शिखरों का हैं वासी, द्वादश ज्योतिर्लिंग हैं, हर दिशा में है कैलाशी, शिव ही बसे हैं कण कण में, केदार हो या काशी, शिव ही बसे हैं कण कण में, केदार हो या काशी।
चंद्र है सिर पे नाग गले में, जटा में गंग समाये, वैद्यनाथ भोले भंडारी, डम डम डमरू बजाये, त्रयंबकेश्वर शिव शंकर, प्रभु राघव ये सुखराशि, द्वादश ज्योतिर्लिंग हैं, हर दिशा में है कैलाशी, शिव ही बसे हैं कण कण में, केदार हो या काशी, शिव ही बसे हैं कण कण में, केदार हो या काशी।
शिव ही बसे हैं कण कण में, केदार हो या काशी, द्वादश ज्योतिर्लिंग हैं, हर दिशा में है कैलाशी, शिव ही बसे हैं कण कण में, केदार हो या काशी, शिव ही बसे हैं कण कण में, केदार हो या काशी।
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