श्यामा वे मेरी मटकी भर दे भजन

श्यामा वे मेरी मटकी भर दे भजन

 
श्यामा वे मेरी मटकी भर दे Shyama Ve Meri Mataki Bhar Lyrics

श्यामा वे मेरी मटकी भरदे,
भर मटकी मेरे सिर ते धरदे,
चार कदम है संग चल वे,
मेरी मटकी भर दे,
श्यामा वे मेरी मटकी भर दे।

यह ना समझ श्यामा दूरों आई,
कुंज गली में मेरा घर वे,
मेरी मटकी भर दे,
श्यामा वे मेरी मटकी भर दे।

यह ना समझ श्यामा कली आई,
सारी सखियां संग वे,
मेरी मटकी भर दे,
श्यामा वे मेरी मटकी भर दे।

यह न समझना श्यामा,
कन्याकुमारी,
श्यामसुंदर मेरा वर वे,
मेरी मटकी भर दे,
श्यामा वे मेरी मटकी भर दे।

यह न समझ श्यामा,
कोई न सहारा,
सतगुरु मेरे संग में,
मेरी मटकी भर दे,
श्यामा वे मेरी मटकी भर दे।

श्यामा वे मेरी मटकी भरदे,
भर मटकी मेरे सिर ते धरदे,
चार कदम है संग चल वे,
मेरी मटकी भर दे,
श्यामा वे मेरी मटकी भर दे।


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श्यामा वे मेरी मटकी भरदे, 
भर मटकी मेरे सिर ते धरदे
चार कदम है संग चल वे, मेरी मटकी भर दे
श्याम वे मेरी मटकी भर दे

इस भजन में एक गहरी भावुक प्रार्थना है, जिसमें भक्त अपने प्रिय श्यामा (कृष्ण) से अपनी मटकी भरने का विनम्र आग्रह करता है। मटकी यहां एक प्रतीक है, जो जीवन की पूर्णता, समृद्धि, खुशहाली और भक्त की मनोकामनाओं का प्रतिनिधित्व करती है। यह मटकी यदि श्याम की कृपा से भर जाए, तो जीवन में हर तरह की कमी, दुख और असमंजस दूर हो जाते हैं।

भजन में यह भाव भी दर्शाया गया है कि श्यामा केवल किसी दूर की जगह से नहीं आये हैं, बल्कि वे हर भक्त के दिल के पास हैं, यानी उनकी उपस्थित हर जगह है। यह प्रेम और नजदीकी दर्शाता है, जहाँ श्याम अपने भक्त के जीवन के हर कदम पर उसके साथ चलकर उसके जीवन को संपूर्ण बनाते हैं। साथ ही यह भी कहा गया है कि श्याम की यह मटकी केवल भौतिक वस्तु नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक आशीर्वाद है, जो जीवन की हर परिस्थिति में साथ देता है। 

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