किस धुन में बैठा बावरे,
तू किस मद में मस्ताना है,
सोने वाले जाग जा
संसार मुसाफिर खाना है।
क्या लेकर के आया था जग में
फिर क्या लेकर जाएगा,
मुट्ठी बांधे आया जग में
हाथ पसारे जाना है,
सोने वाले जाग जा
संसार मुसाफिर खाना है।
कोई आज गया कोई कल गया
कोई चंद रोज में जायेगा
जिस घर से निकल गया पंछी,
उस घर में फिर नही आना है,
सोने वाले जाग जा
संसार मुसाफिर खाना है।
सूत मात पिता बांधव नारी
धन धान यही रह जाएगा,
यह चंद रोज की यारी है फिर
अपना कौन बेगाना है,
सोने वाले जाग जा
संसार मुसाफिर खाना है।
तू किस मद में मस्ताना है,
सोने वाले जाग जा
संसार मुसाफिर खाना है।
क्या लेकर के आया था जग में
फिर क्या लेकर जाएगा,
मुट्ठी बांधे आया जग में
हाथ पसारे जाना है,
सोने वाले जाग जा
संसार मुसाफिर खाना है।
कोई आज गया कोई कल गया
कोई चंद रोज में जायेगा
जिस घर से निकल गया पंछी,
उस घर में फिर नही आना है,
सोने वाले जाग जा
संसार मुसाफिर खाना है।
सूत मात पिता बांधव नारी
धन धान यही रह जाएगा,
यह चंद रोज की यारी है फिर
अपना कौन बेगाना है,
सोने वाले जाग जा
संसार मुसाफिर खाना है।
सोने वाले जाग जा संसार मुसाफिर खाना है जयश्रीराम भजन
पूज्य राजन जी महाराज द्वारा गाया गया ये सुंदर भजन जिसके बोल हैं, सोने वाले जाग जा संसार मुसाफिर खाना है, आपका मन मोह लेगा।।
Author - Saroj Jangir
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