धन्य देश महान, धन्य हिंदुस्तान, विश्व में गूंजे हमारी भारती, जन जन उतारे आरती, धन्य देश महान, धन्य हिन्दुस्तान।
इस धरा की गोद में, संसार को संस्कृति मिली है, हर शिखिर की धवलता, इस देश की जिंदादिली है, सिन्धु की हर लहर, चरण पखारती, नदिया जरा सिंगारती, धन्य देश महान, धन्य हिन्दुस्तान।
चल दिया मानो सिकंदर, इस धरा पर टेक घुटने, शत्रु की क्या जब लगेगा, इस वतन का शौर्य जगने, कुपित हो जब, मातृभूमि निहारती, रण चंडिका हुंकारती, धन्य देश महान, धन्य हिन्दुस्तान।
विश्व का हर देश जब भी, दिग भ्रमित हो लड़खड़ाया, लक्ष्य की पहचान करने, इस धरा के पास आया, भूमि यह हर, दलित को पुचकारती, हर पतित को उद्धारती, धन्य देश महान, धन्य हिंदुस्तान, विश्व में गूंजे हमारी भारती, जन जन उतारे आरती, धन्य देश महान, धन्य हिंदुस्तान।
(द्वारा श्री मुकेश जी ) समाज में सकारात्मकता का वातावरण बने इसलिए आवश्यक है की हमारी सोच सकारात्मक हो, भाव सकारात्मक हो एवं अच्छी बातों, प्रेरक कथाओं के माध्यम से जन-जन की सोच भी सकारात्मक बने. यह ब्लॉग केवल और केवल अच्छी बातों को आप के समक्ष रखने का प्रयास भर है..