गुरु शरण में रहना रे मन तू लिरिक्स Guru Sharan Me Rahana Lyrics
Saroj Jangir
गुरु शरण में रहना रे मन तू लिरिक्स Guru Sharan Me Rahana Lyrics Satguru Dev Bhajan
तन मन ताको दीजिए जाको विषया नाय ,
आपा सबहिडारिके , राखोसाहिब माय ॥1 ॥ भली भई जो गुरू मिले , जाते पाया ज्ञान । घट ही माहि चबूतरा , घट ही माहि दीवान ॥2 ॥ गुरू समान दाता नहीं , याचक शीष समान,
तीन लोक की सम्पदा , सो गुरू दीनि दान ॥3 ॥ कुमति कीच चेला भया , गुरू ज्ञान जल होय । जनम - जनम का मोर्चा , पल में डारे धोय ॥4 ॥ भजन - गुरू शरण में रहना रे मन तू गुरू शरण में रहना रे , उतरोगा पार पूरा गुरू मिल गया , पीठ जगत से देना ॥टेक ।। पांच तत्व की बनी थारी काया , वहीं निगाह कर लेना ।
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पांच से कोई छठा बतावे , बाको गुरू कर लेना । घणा गुरू विश्वास बंधावे , उनकी मत सुन लेना , वो ठगियों में ठगिया रेहता , पारब्रह्म में रेणारे ॥ तन मन धन अर्पण सदगुरू को , गुरू वचन सुन लेना , जो गुरू जी थारो मस्तक मांगे , शीश काट धर देना । मोती चुगना रहना समुंद में , लहर दरिया की लेना ,
कहें कबीर सुणो भाई साधो , जीवत मुक्त कर लेना ॥
मोती चुगना रहना समुंद में , लहर दरिया की लेना , कहें कबीर सुणो भाई साधो , जीवत मुक्त कर लेना॥
गुरु शरण में रहना रे मन तू || Guru Sharan Mein Rehna re Man Tu || गुरु वंदना || Guru Purnima Special