दीक्षा दिवस गुरुराज का भजन

दीक्षा दिवस गुरुराज का भजन

दीक्षा दिवस गुरुराज का


जय जय जय गुरुदेव,
दीक्षा दिवस गुरुराज का,
ये भायंदर की धन्य धरा,
खरतरगच्छ श्री संघ के,
आँगन में उत्सव भक्ति भरा,
ऐतिहासिक चातुर्मास का,
ये उपहार दिया,
जिन मनोज्ञ सूरी की जयकार,
हम पे ये उपकार किया,
दीक्षा दिवस ये गुरुराज का।

शुभ मंगल अवसर आया है,
मन जन-जन का हर्षाया है,
संयम दिवस सूरीराज का,
खुशियाँ हजारों लाया है,
छाजेड़ कुल के उजियारे हैं,
माँ देमी के दुलारे हैं,
श्री प्रतापसागर जी के लाडले,
जैन-अजैन के प्यारे हैं,
जिनकांति सूरी जी के,
ये शिष्य रत्न कहलाए हैं,
देव, गुरु और धर्म की कीर्ति,
जग में ये फैलाए हैं,
दीक्षा दिवस ये गुरुराज का।

संयम जिनकी साँस है,
रग-रग में प्रभु का वास है,
संत के रूप में हैं अरिहंत,
यही आस, विश्वास है,
महावीर की वाणी को,
जन-जन तक पहुँचाया है,
चिंता नहीं चिंतन करके,
कई मतभेदों को मिटाया है,
गाँव-गाँव और नगर में,
धर्म का ध्वज फहराया है,
जिन मंदिर के जीर्णोद्धार,
श्री संघों में कराया है,
दीक्षा दिवस ये गुरुराज का।

गुरु चरणों में करते हैं वंदन,
पाकर आपको हुए हैं पावन,
प्रभु कृपा से गुरु मिले हैं,
गुरु कृपा से प्रभु मिले हैं,
ये पंच महाव्रतधारी हैं,
गुरुवर मेरे उपकारी हैं,
ये सूर्य सम सूरीराज हैं,
हम भक्तों के सरताज हैं,
नयज्ञ मुनि के प्राणाधार,
गुरु भक्तों के पालनहार,
दिलबर बोल रहा संसार,
गुरुदेव की जय जयकार,
दीक्षा दिवस ये गुरुराज का।

जय जय जय गुरुदेव,
दीक्षा दिवस गुरुराज का,
ये भायंदर की धन्य धरा,
खरतरगच्छ श्री संघ के,
आँगन में उत्सव भक्ति भरा,
ऐतिहासिक चातुर्मास का,
ये उपहार दिया,
जिन मनोज्ञ सूरी की जयकार,
हम पे ये उपकार किया,
दीक्षा दिवस ये गुरुराज का।



प पु खरतरगच्छाचार्य गुरुदेव श्री जिनमनोज्ञसुरीश्वर म सा के 53वें संयम वर्ष प्रवेश ।

ऐसे ही अन्य भजनों के लिए आप होम पेज / गायक कलाकार के अनुसार भजनों को ढूंढें.
 

पसंदीदा गायकों के भजन खोजने के लिए यहाँ क्लिक करें।


"जय जय गुरुदेव" प्रेरणा - प पु मुनि श्री नयज्ञसागर जी म सा; गीतकार - श्री दिलीप जी सिसोदिया"दिलबर" संगीत&स्वर - श्री हर्ष जी व्यास,मुंबई, वीडियो - परम गुरुभक्त श्री सुनील जी लूनिया," S luniya Team"पाली वंदनकर्ता -श्री जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ, भायंदर
 
जहाँ “जय जय जय गुरुदेव” का उद्घोष केवल प्रशंसा नहीं, बल्कि आत्मनिवेदन का संकल्प है। भायंदर की पावन भूमि को धन्य कहा गया है, क्योंकि इसने उस ऐतिहासिक क्षण का साक्षित्व पाया जब एक संत आत्मा ने संयम का व्रत धारण कर जगत को आलोकित किया। यह अवसर केवल उत्सव नहीं, बल्कि धर्म‑ध्वजा के पुनः फहराने का प्रतीक है।

गुरु मनोज्ञसूरी की दीक्षा को “उपहार” कहकर वर्णित करना इस बात का संकेत है कि समस्त साधक‑समाज ने इसे ईश्वर‑प्रदत्त आशीष के रूप में ग्रहण किया। वे “खरतरगच्छ श्री संघ” की भक्ति परंपरा में एक नई प्रेरणा बनकर उभरे हैं। अगले पदों में गुरु के तप, त्याग और संयम की महिमा का विस्तार है—“संयम जिनकी साँस है, रग‑रग में प्रभु का वास है”—यह वाक्य गुरु को चलते‑फिरते धर्मस्वरूप के रूप में प्रतिपादित करता है। वे केवल साधक नहीं, बल्कि अरिहंत‑तत्त्व के प्रतिबिंब हैं, जो महावीर की वाणी को जन‑जन तक पहुँचाने का कार्य कर रहे हैं।
 
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

इस ब्लॉग पर आप पायेंगे मधुर और सुन्दर हरियाणवी भजन भजनों का संग्रह । इस ब्लॉग का उद्देश्य आपको सुन्दर भजनों के बोल उपलब्ध करवाना है। आप इस ब्लॉग पर अपने पसंद के गायक और भजन केटेगरी के भजन खोज सकते हैं....अधिक पढ़ें

Next Post Previous Post