तुझे है सोक मिलने का लिरिक्स

तुझे है सोक मिलने का लिरिक्स Tujhe Hai Shouk Milane Ka Lyrics

समदर्शी सतगुरु मिला दिया अविचल ज्ञान ,
जहाँ देखो तहं एकहि, दूजा नाहि आन।।१।।
समदर्शी सतगुरु किया मेटा भरम विकार।
जहाँ देखो तहं एकहि,साहब का दीदार।।२।।
भजन — तुझे है शौक मिलने का तो हरदम लौ लगाता जा ।
१ पकड़कर इश्क का झाडू सफाकर हर्ज – ए – दिल को,
 दुई की धूल को लेकर ,मुसल्ले पर उड़ाता जा ।।
 
२ तोड़कर फेंक दे तस्वीर किताबें डाल पानी में,
 भूल से जो हुआ कुछ भी , उसे दिल से भुलाता जा ।।
३ न मर भूखा न रख रोजा , ना जा मस्जिद में कर सजदा,
 वजू का तोड़कर कुंजा , शराबे शौक पीता जा ।।
४। न हो मुल्ला न बन ब्राह्मण, दुई का तर्क कर झगड़ा,
 हुक्म है शाह कलन्दर का अनलहक तू सुनाता जा ।।
समदर्शी सतगुरु मिला दिया अविचल ज्ञान ,
जहाँ देखो तहं एकहि, दूजा नाहि आन।।१।।



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