तुझे है सोक मिलने का लिरिक्स Tujhe Hai Shouk Milane Ka Lyrics

तुझे है सोक मिलने का लिरिक्स Tujhe Hai Shouk Milane Ka Lyrics, Kabir Bhajan

समदर्शी सतगुरु मिला दिया अविचल ज्ञान ,
जहाँ देखो तहं एकहि, दूजा नाहि आन।।१।।
समदर्शी सतगुरु किया मेटा भरम विकार।
जहाँ देखो तहं एकहि,साहब का दीदार।।२।।
भजन — तुझे है शौक मिलने का तो हरदम लौ लगाता जा ।
१ पकड़कर इश्क का झाडू सफाकर हर्ज – ए – दिल को,
 दुई की धूल को लेकर ,मुसल्ले पर उड़ाता जा ।।
 
२ तोड़कर फेंक दे तस्वीर किताबें डाल पानी में,
 भूल से जो हुआ कुछ भी , उसे दिल से भुलाता जा ।।
३ न मर भूखा न रख रोजा , ना जा मस्जिद में कर सजदा,
 वजू का तोड़कर कुंजा , शराबे शौक पीता जा ।।
४। न हो मुल्ला न बन ब्राह्मण, दुई का तर्क कर झगड़ा,
 हुक्म है शाह कलन्दर का अनलहक तू सुनाता जा ।।
समदर्शी सतगुरु मिला दिया अविचल ज्ञान ,
जहाँ देखो तहं एकहि, दूजा नाहि आन।।१।।




तुझे है सोक मिलने का II Tujhe Hai Shok Milne ka II By Padmashree Prahlad Singh Tipanya II

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