श्री स्तवः लिरिक्स जानिये अर्थ और महत्त्व

श्री स्तवः लिरिक्स जानिये अर्थ और महत्त्व सरल अर्थ में

ॐ श्रीदेवी महावक्त्रा,
चतुर्वर्णा चतुर्भुजा,
प्रज्ञावीर्य रसज्ञेया,
चिन्तामणिकुरु स्मृता।

श्रीशालिकान्तरूपा त्वं,
स्निग्धगात्रं च तण्डुलम्,
ददासि मे सदा चित्रं,
सौभाग्यं लोकपूजितम्।

श्रीताण्डुली महादेवी,
श्रीमत् कमलशोभिता,
ददासि मे महाभोग्यं,
सर्वद्रव्यहितं धनम्।

श्रीव्रीहिमुक्ताजीवा त्वं,
सर्वभूप सुनन्दिनी,
ददासि मे सुखं नित्यं,
जीवितं धातुकाञ्चनम्।

श्रीधान्य देविका रम्या,
सर्वरूपवती तथा,
सर्वज्ञानमणिश्चैव,
श्रीश्रीदेवी नमोऽस्तु ते।

ब्रह्मादिस्तम्बपर्यन्तं,
जगत् स्थावरजङ्गमम्,
शिवाङ्गमिति तत्सर्वं मां,
रक्षतु नमोऽस्तु ते,
श्रीदेवी सततं मूर्ध्ना त्वां,
नमामि च शक्तितः।
 
'श्री स्तवः' एक महत्वपूर्ण स्तोत्र है जो देवी लक्ष्मी की महिमा का वर्णन करता है। इस स्तोत्र में देवी के विभिन्न रूपों, गुणों और कृपाओं का उल्लेख किया गया है, जो भक्तों को समृद्धि, सौभाग्य और सुख प्रदान करते हैं।

श्री स्तवः के श्लोकों का सरल अर्थ
ॐ श्रीदेवी महावक्त्रा, चतुर्वर्णा चतुर्भुजा, प्रज्ञावीर्य रसज्ञेया, चिन्तामणिकुरु स्मृता।
हे श्रीदेवी महावक्त्रा, आप चार रंगों और चार भुजाओं वाली हैं। आप प्रज्ञा, वीर्य और रस की ज्ञाता हैं। आप चिन्तामणि के रूप में स्मरण की जाती हैं।

श्रीशालिकान्तरूपा त्वं, स्निग्धगात्रं च तण्डुलम्, ददासि मे सदा चित्रं, सौभाग्यं लोकपूजितम्।
आप शालिका (धान) के रूप में हैं, आपका शरीर स्निग्ध (कोमल) है और आप तण्डुल (चावल) के रूप में प्रकट होती हैं। आप मुझे सदा विविध प्रकार का सौभाग्य प्रदान करें, जो लोक में पूजित है।

श्रीताण्डुली महादेवी, श्रीमत् कमलशोभिता, ददासि मे महाभोग्यं, सर्वद्रव्यहितं धनम्।
हे महादेवी श्रीताण्डुली, आप कमल के समान शोभित हैं। आप मुझे महान भोग्य पदार्थ और सर्वद्रव्ययुक्त धन प्रदान करें।

श्रीव्रीहिमुक्ताजीवा त्वं, सर्वभूप सुनन्दिनी, ददासि मे सुखं नित्यं, जीवितं धातुकाञ्चनम्।
आप व्रीहि (धान्य) के मुक्त जीवन रूप हैं, समस्त भूमियों में सुन्दरी हैं। आप मुझे नित्य सुख, जीवन और धातु (सोना) प्रदान करें।

श्रीधान्य देविका रम्या, सर्वरूपवती तथा, सर्वज्ञानमणिश्चैव, श्रीश्रीदेवी नमोऽस्तु ते।
हे रमणीय श्रीधान्य देविका, आप सभी रूपों में विद्यमान हैं। आप सर्वज्ञानमणि हैं। हे श्रीश्रीदेवी, आपको नमस्कार है।

ब्रह्मादिस्तम्बपर्यन्तं, जगत् स्थावरजङ्गमम्, शिवाङ्गमिति तत्सर्वं मां, रक्षतु नमोऽस्तु ते, श्रीदेवी सततं मूर्ध्ना त्वां, नमामि च शक्तितः।
ब्रह्मा से लेकर तिनके तक, समस्त स्थावर-जंगम जगत, जो शिव के अंग के रूप में है, वह सब मुझे रक्षा करे। आपको नमस्कार है। हे श्रीदेवी, मैं सदा मस्तक झुकाकर आपको शक्ति सहित नमस्कार करता हूँ।

महत्त्व
'श्री स्तवः' का पाठ करने से भक्तों को देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है, जो जीवन में समृद्धि, सौभाग्य और सुख का संचार करती है। यह स्तोत्र देवी के विभिन्न रूपों की महिमा का वर्णन करता है, जो भक्तों को आध्यात्मिक और भौतिक उन्नति प्रदान करता है। 
 

Shri Stavah - 11 Times With Lyrics | श्री स्तवः | Goddess Lakshmi Chant | Rajshri Soul

Language : Sanskrit
Lyrics : Traditional
Composer : Traditional
Artist : Shamika Bhide
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