मैं गर्व से कहता हूं मेरा श्याम सलौना है लिरिक्स Shyam Salouna Hai

"श्याम" शब्द का अर्थ होता है "गहरे नीले रंग का"। श्री कृष्ण जी की काली-नीली त्वचा के कारण वे "श्याम" नाम से भी जाने जाते हैं। श्री कृष्ण को "श्याम" नाम से भी संबोधित किया जाता है। "सलोना" शब्द का अर्थ होता है "सुंदर" या "खूबसूरत"। इसलिए, "श्याम सलोना" श्री कृष्ण जी के रंग और सौंदर्य का वर्णन करता है। श्री कृष्ण की सुंदरता के विषय में बताया जाता है कि उनका मुख, शरीर, और सम्पूर्ण आकार अत्यंत सुंदर होता है। उनकी विशेष शोभा में मुख की मधुरता, हाथों की कोमलता, पैरों की गतिशीलता और नीली-काली त्वचा की शोभा काफी लोगों को आकर्षित करती है। इसके अलावा, उनके मृदुल वाणी-मधुर संगीत, मधुरता और तेज बुद्धि भी उनकी सुंदरता का एक पहलू है। वे न केवल बाल्य काल में बल्कि युवावस्था में भी अत्यंत सुंदर थे जो कई लोगों को मोह लेते हैं।

मैं गर्व से कहता हूं मेरा श्याम सलौना है लिरिक्स Shyam Salouna Hai

मैं गर्व से कहता हूं,
मेरा श्याम सलौना है,
इसके ही लिये दिल में,
भावों को संजोना है।

भावों का भूखा है,
कुछ और ना भाता है,
प्रेमी के आँसू से,
ये प्यास बुझाता है
नखरे इसके न्यारे,
बड़ा नाज़ुक छौना है,
मैं गर्व से कहता हूं,
मेरा श्याम सलौना है,
इसके ही लिये दिल में,
भावों को संजोना है।

जब श्याम हँसाता है,
मैं खुल कर हँस पाता,
भावों में रुलाता है,
रोने का मजा आता,
मेरा दिल इस दिलबर के,
हाथों का खिलौना है,
मैं गर्व से कहता हूं,
मेरा श्याम सलौना है,
इसके ही लिये दिल में,
भावों को संजोना है।

राहें सब बंद हुई,
किसी और के आने की,
कोई मत कोशिश करो,
इस दिल में समाने की,
नीलाम हुआ ये दिल,
अब चैन से बौना है,
मैं गर्व से कहता हूं,
मेरा श्याम सलौना है,
इसके ही लिये दिल में,
भावों को संजोना है।

इसको खुश रखने की,
मैं कोशिश करता हूं,
ये रूठ ना जाये कहीं,
इस बात से डरता हूं,
बिन्नू ये ध्यान रहे,
इसको नहीं खौना है,
मैं गर्व से कहता हूं,
मेरा श्याम सलौना है,
इसके ही लिये दिल में,
भावों को संजोना है।
 



Mera Shyam Salona hai (में गर्व से कहता हूँ)|| Raj Pareek || Latest Shyam Baba Bhajan

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आई यह भी जानिये
श्री कृष्ण की बाल लीलाएं भारतीय संस्कृति की सबसे प्रसिद्ध और मनोरंजक कथाओं में से एक हैं। यह लीलाएं उनके बाल्य और किशोर वर्षों की हैं जब उन्होंने वृंदावन में रहते हुए अपनी अद्भुत खेल-कूद की और अपनी श्रीमुर्ति का दर्शन कराते थे।

श्री कृष्ण की बाल लीलाओं में उनकी माखन चोरी, गोपियों के संग रास लीला, कालिंदी नदी में उनके मधुर लीले आदि सबसे प्रसिद्ध हैं। गोपियों के संग रास लीला में, श्री कृष्ण और गोपियां रास मंडल में नृत्य करते हुए आनंद और मधुरता का अनुभव करते हैं। कालिंदी नदी में उनकी मधुर लीलाएं भी उनकी सुंदरता और शक्ति को दर्शाती हैं। श्री कृष्ण की बाल लीलाएं भक्तों को मनोहारी और उत्तेजक अनुभव देती हैं जो लोग अक्सर देखना और सुनना चाहते हैं।


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