आज भरे दरबार करिश्मे दिखलायगी मोरछड़ी
दिखलायेगी मोरछड़ी,
हीरे मोती बरसेंगे जब,
लहरायेगी मोरछड़ी,
आज भरे दरबार में करिश्मे,
दिखलायेगी मोरछड़ी,
हीरे मोती बरसेंगे जब,
लहरायेगी मोरछड़ी।
हमने भी देखे इसके,
कितने खेल निराले हैं,
मंदिर के पट क्या ये तो,
खोले किस्मत के ताले है,
जिसको भी छू लेगी,
मालामाल करेगी मोरछड़ी,
हीरे मोती बरसेंगे जब,
लहरायेगी मोरछड़ी,
हीरे मोती बरसेंगे जब,
लहरायेगी मोरछड़ी।
श्याम है नैया थामा जी,
मोरछड़ी जो पतवार है,
जिसको थाम के करता हमको,
भवसागर से पार है,
श्याम है नैया थामा जी,
मोरछड़ी जो पतवार है,
जिसको थाम के करता,
हमको भवसागर से पार है,
आज सभी भक्तों का,
बेड़ा पार करेगी मोरछड़ी,
हीरे मोती बरसेंगे जब,
लहरायेगी मोरछड़ी,
हीरे मोती बरसेंगे जब,
लहरायेगी मोरछड़ी,
आज भरे दरबार में करिश्मे,
दिखलायेगी मोरछड़ी,
हीरे मोती बरसेंगे जब,
लहरायेगी मोरछड़ी।
आज भरे दरबार में करिश्मे,
दिखलायेगी मोरछड़ी,
हीरे मोती बरसेंगे जब,
लहरायेगी मोरछड़ी।
हमने भी देखे इसके,
कितने खेल निराले हैं,
मंदिर के पट क्या ये तो,
खोले किस्मत के ताले है,
जिसको भी छू लेगी,
मालामाल करेगी मोरछड़ी,
हीरे मोती बरसेंगे जब,
लहरायेगी मोरछड़ी,
हीरे मोती बरसेंगे जब,
लहरायेगी मोरछड़ी।
आज भरे दरबार में करिश्मे,
दिखलायेगी मोरछड़ी,
हीरे मोती बरसेंगे जब,
लहरायेगी मोरछड़ी,
आज भरे दरबार में करिश्मे,
दिखलायेगी मोरछड़ी,
हीरे मोती बरसेंगे जब,
लहरायेगी मोरछड़ी।
आज भरे दरबार करिश्मे दिखलायगी मोरछड़ी | Aaj Bhare Darbaar Karishme Dikhlayegi Morchhadhi | Bhajan |
Aaj Bhare Darbaar Karishme Dikhlayegi Morchhadhi · Saurabh Madhukar, Keshav Madhukar
यह भाव श्याम की उस दिव्य उपस्थिति को व्यक्त करता है जो केवल दृष्टि से नहीं, अनुभूति से समझी जा सकती है। मोरछड़ी यहाँ महज़ एक प्रतीक नहीं, वह कृपा का माध्यम है—वह स्पर्श जो मन की जंजीरों को खोल देता है। जब दरबार सजा होता है और आस्था का प्रवाह उमड़ता है, तब वह क्षण किसी चमत्कार से कम नहीं होता। वहाँ शब्दों की जगह मौन बोलता है और भावनाएँ साक्षात् रूप ले लेती हैं। मोरछड़ी का लहराना, भक्त के जीवन से दुर्भाग्य की धूल को झाड़ना है—यह विश्वास दिलाना है कि जब तक सिर पर श्याम की कृपा की छाया है, तब तक कोई द्वार बंद नहीं रह सकता।
मोरछड़ी उस आशीर्वाद का प्रतीक भी है जो भय और संदेह को मिटाकर विश्वास की चमक बिखेर देता है। जिसे यह छूती है, उसके जीवन में बदलाव आता है—पर वह केवल बाहरी वैभव नहीं, भीतर की सम्पन्नता भी देता है। यह भाव उस अनुपम आश्रय का अनुभव कराता है जिसमें शरण लेने से सबकुछ सहज हो जाता है। जब मनुष्य अपनी नैया श्याम के हाथों सौंप देता है, तब मोरछड़ी पतवार बनकर भवसागर पार करा देती है। भक्तों की भीड़ में उठती वह दिव्य लहर सभी को एक ही भाव में पिरो देती है—जहाँ दया बरसती है, हीरे-मोती नहीं, बल्कि अमृत समान शांति बरसती है। यही वह क्षण है जब मन समझता है कि करुणा ही असली चमत्कार है, और प्रभु की कृपा ही जीवन का सबसे बड़ा धन।
मोरछड़ी का ज़िक्र आते ही मन में एक अद्भुत शांति और सांवरे सरकार की छवि उतर आती है। यह केवल मोर के पंखों का एक समूह नहीं है, बल्कि उस परम सत्ता के आशीर्वाद की निशानी है, जो हर कठिनाई और विपदा में अपने भक्तों का हाथ थामे रहती है। जब जीवन की राह में अंधकार छा जाता है, जब चारों ओर से हार मानकर मन निराशा से भर जाता है, तब इसी मोरछड़ी की ओट हमें याद आती है। नियावी दवा और दुआ जहाँ काम करना छोड़ देती है, वहाँ मेरे श्याम का एक इशारा, उनकी यह शक्ति-पुंज कष्टों को एक पल में दूर कर देती है। जिस तरह माँ अपने बच्चे को दुलारती है, उसी तरह मेरे बाबा श्याम भी मोरछड़ी से अपने बच्चों पर स्नेह बरसाते हैं, उन्हें हर बुरी नज़र और विपत्ति से बचाते हैं।
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