जग रुठे पर मुझसे मेरा गुरु ना रुठे

जग रुठे पर मुझसे मेरा गुरु ना रुठे

जग रुठे पर मुझसे,
मेरा गुरु ना रुठे,
और जिऊँ मैं जब तक,
प्रभु तेरा दरबार ना छूटे,
ओ बोलो जय जय जय,
गुरां दीं जय जय जय।

इक तेरे भरोसे पर मैंने,
अपनी ये नाव चलाई हैं,
लाखों तूफाँ आये लेकिन,
लाखों तूफाँ आये लेकिन,
मेरी नाव ने मंजिल पाई हैं,
हाथों से हाथों से,
तेरे मेरी पतवार ना छूटे,
और जिऊँ मैं जब तक,
प्रभु तेरा दरबार ना छूटे,
जग रुठे पर मुझसे,
मेरा गुरु ना रुठे,
और जिऊँ मैं जब तक,
प्रभु तेरा दरबार ना छूटे,
ओ बोलो जय जय जय,
गुरां दीं जय जय जय।

जब जब भी ठोकर खाकर मैं,
चलते चलते गिर जाता हूँ,
उस वक्त भी अपने पास खड़ा,
उस वक्त भी अपने पास खड़ा,
मैं श्याम तुम्हें ही पाता हूँ,
मैं प्रभु तुम्हें ही पाता हूँ,
तुझसे जुड़ी जो तार कभी,
वो तार ना टूटे,
और जिऊँ मैं जब तक,
प्रभु तेरा दरबार ना छूटे,
जग रुठे पर मुझसे,
मेरा गुरु ना रुठे,
और जिऊँ मैं जब तक,
प्रभु तेरा दरबार ना छूटे,
ओ बोलो जय जय जय,
गुरां दीं जय जय जय।

बस एक तमन्ना जीवन की,
हर जन्म में तेरा साथ मिले,
हर हाल में मैं खुश रह लूँगा,
हर हाल में मैं खुश रह लूँगा,
अगर शयाम प्रभु,
तेरा प्यार मिले,
गुरु नाम की मस्ती,
किस्मत वाला लुटे
अगर सतगुरु वर,
तेरा प्यार मिले,
और जिऊँ मैं जब तक,
प्रभु तेरा दरबार ना छूटे,
जग रुठे पर मुझसे,
मेरा गुरु ना रुठे,
और जिऊँ मैं जब तक,
प्रभु तेरा दरबार ना छूटे,
ओ बोलो जय जय जय,
गुरां दी जय जय जय।
 


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