अविपत्तिकर चूर्ण के स्वास्थ्य फायदे लाभ Health Benefits of Avipattikar Churna

वर्तमान जीवन शैली के कारण से हमारे स्वास्थ्य को लेकर समस्याएं हमेशा बनी रहती हैं। खाने-पीने की गलत आदतों, तनाव, शारीरिक सक्रियता का अभाव, सुस्त जीवन शैली कुछ ऐसे कारण हैं जो पेट सम्बन्धी रोगों को पैदा करते हैं। इस तरह के रोगों के लिए आयुर्वेद में कई दवाइयाँ हैं, जिनमें से एक है अविपत्तिकर चूर्ण। अविपत्तिकर चूर्ण एक ऐसी आयुर्वेदिक फॉर्मुलेशन है जो पित्त दोष के असंतुलन से होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं जैसे एसिडिटी, पाचन, कब्ज जैसी समस्याओं को नियंत्रित करने के लिए सबसे अधिक प्रभावी होता है। ये शरीर में जमा हो चुकी गर्मी को दूर करता है, पित्त दोष को संतुलित करता है और आम को पचाता है। इसके साथ ही यह चूर्ण क्षुधावर्धक, पाचक, वातहर और रेचक भी होता है। इस लेख में, हम अविपत्तिकर चूर्ण के स्वास्थ्य लाभों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

अविपत्तिकर चूर्ण क्या है ? What is Avipattikar Churna in Hindi

अविपत्तिकरचूर्ण एक आयुर्वेदिक दवा है जो चूर्ण रूप में होती है और यह पेट से संबंधित समस्याओं यथा पाचन, खट्टी डकार, अपच, पेट का फूलना आदि विकारों में बहुत ही गुणकारी होता है। इस चूर्ण के सामान्य घटक की जानकारी निचे दी गई है। अग्निमंद्य को आयुर्वेद में अपच नाम से जाना जाता है, जो पित्त के असंतुलन के कारण होता है। यह चूर्ण पित्त दोष को संतुलित करता है और आम को पचाता है। जब खाया गया भोजन मंद अग्नि (अल्प जठराग्नि) के कारण अवशोषित रह जाता है, तो अपच के नतीजे में आम (ऐसा भोजन जो अवशोषित नहीं हो पाता है) का निर्माण होता है। अतः यह चूर्ण सभी प्रकार की पाचन संबंधी समस्याओं के लिए प्रभावी होता है। 
 
Health Benefits of Avipattikar Churna

 
अविपत्तिकर चूर्ण क्या है?
अविपत्तिकर चूर्ण एक प्राचीन आयुर्वेदिक औषधि है जो पेट समस्याओं को नियंत्रित करने में सहायता कर सकती है। यह एक आम चूर्ण है जिसे विभिन्न प्रकार के औषधीय जड़ी-बूटों का मिश्रण बनाया जाता है, जैसे कि अमलकी, बहेड़ा, हरड़, सौंठ, जीरा, इलायची और नागरमोथा आदि। अविपत्तिकर चूर्ण दीपन उत्तेजक और पाचन को ठीक करता है। 

अविपत्तिकर चूर्ण के घटक Avipattikar Churna ingredients Hindi. Best Ayurvedic Medicine for Acidity.

सामान्य रूप से अविपत्तिकर चूर्ण के घटक Ingredients निम्न प्रकार से होते हैं :-
आयुर्वेदिक ग्रंथों के यथा रस तंत्र सार / रसेन्द्र चिंतामणि के अनुसार अविपत्तिकर चूर्ण के निम्न घटक होते हैं -
  1. Sounth सौंठ जिंजिबर ऑफ़िसिनेल / Zingiber officinale
  2. Kali Mirch काली मिर्च (Piper nigrum)
  3. Pippal पिप्पल Piper longum
  4. Harad हरड़ Haritaki Terminalia chebula
  5. Baheda भरड़ Bibhitaka Terminalia bellirica
  6. Amla आँवलाAmalaki Phyllanthus emblica
  7. Nagarmotha नागरमोथा Musta Cyperus rotundus
  8. Vid Namak विडनमक/नौसादर
  9. VaiVidang बाय विडंग Embelia Ribes
  10. Laghu Ela छोटी एला (Sukshmaila API) Eletteria cardamomum
  11. Tej Patra तेजपत्र Cinnamomum tamala, Indian bay leaf
  12. Lavang लौंगLavang (Syzgium aromaticum)
  13. Nisoth निशोथ
  14. Mishri मिश्री

अविपत्तिकर चूर्ण के फायदे (Avipattikar Churna Benefits)

अविपत्तिकर चूर्ण पाचन से संबंधित समस्याओं के लिए एक आयुर्वेदिक ओषधि है। इस चूर्ण के उपयोग से पाचन सुधरता है और पाचन जनित विकार दूर होते हैं। इसके घटक इसे गुणकारी बनाते हैं क्योंकि सभी घटक गैस कम करने, पाचन को सुधारने, कब्ज और आफरा कम करने आदि में सहायक होते हैं। अविपत्तिकर चूर्ण के सेवन से अपच, गैस आदि में तुरंत लाभ मिलता है। इसके अतिरिक्त मतली, खटास, सीने में जलन, सरदर्द जैसे विकारों में भी लाभदाई है।

एसिडिटी दूर करने में अविपत्तिकर चूर्ण के फायदे 

अविपत्तिकर चूर्ण एक प्राकृतिक आयुर्वेदिक औषधि है जो एसिडिटी को कम करती है। आयुर्वेद में एसिडिटी को अम्ल पित्त कहते हैं, एसिडिटी एक आम पाचन संबंधी समस्या है जो पेट में जलन, अपच और खट्टी डकारों के रूप में सामने आती है। अविपत्तिकर चूर्ण एसिडिटी को कम करके पेट में जलन और पेट की दाह / तापमान को नियंत्रित कर सकता है। यह पेट की गर्मी को कम करके एसिडिटी की समस्या को बढ़ाने वाले कारकों को नियंत्रित करता है।

कब्ज की समस्या दूर करने सबंधी अविपत्तिकर चूर्ण के फायदे 

अविपत्तिकर चर्ण कब्ज की समस्या काे दूर करने के लिए बेहद लाभकारी होती है। अविपत्तिकर चूर्ण खाने काे अच्छे से डायजेस्ट/पाचन में सहायक होता है। पाचन ठीक होने पर कब्ज स्वतः ही ठीक होने लगता है।  विपत्तिकर चूर्ण पूर्ण रूप से प्राकृतिक ओषधि है और अनेक गुणकारी घटक (जड़ी बूटियों) से बनाई जाती है। अविपत्तिकर चूर्ण को आमतौर पर रात को सोने से पहले गर्म पानी के साथ लेना चाहिए, या भोजन से पहले भी इसे ले सकते हैं।

टॉक्सिंस बाहर निकालने में फायदेमंद है अविपत्तिकर चूर्ण 

शरीर में जमे हुए टॉक्सिन विषैले पदार्थ और अन्य कषाय तत्वों को निष्क्रिय करके शरीर को शुद्ध करने में अविपत्तिकर लाभकारी होता है। अविपत्तिकर चूर्ण पाचन को सुधारकर शरीर के अंदर जमे टॉक्सिन को बाहर निकालता है और पाचन को बेहतर बनाता है। आयुर्वेद में बॉडी काे डिटॉक्स करने के लिए यह चूर्ण असरदायक है.

पेशाब की रुकावट दूर करने में अविपत्तिकर चूर्ण के फायदे 

अगर आपको पेशाब की रुकावट से जुड़ी कोई समस्या है तो अविपत्तिकर चूर्ण आपके लिए एक सुरक्षित विकल्प हो सकता है। अविपत्तिकर चूर्ण में डियूरेटिक्स गुण हाेते हैं, जिसके कारण से पेशाब खुलकर निकलता है।  यह दवा पेशाब की समस्याओं को दूर करती है और पेशाब के प्रवाह को सुगम बनाती है।

भूख बढाने में अविपत्तिकर चूर्ण के फायदे

विपत्तिकर चूर्ण भूख बढ़ाने में भी फायदेमंद है। अविपत्तिकर चूर्ण पाचन को सुधारकर भूख बढ़ाता है। यह पाचन प्रक्रिया को बेहतर बनाता है और अविपत्तिकर चूर्ण शरीर की ऊर्जा को बढ़ाने में मदद कर सकता है।

अविपत्तिकर चूर्ण बनाने का तरीका (How to Make Avipattikar Churna)

पेट को स्वस्थ रखना बहुत मुश्किल काम है, क्योंकि वर्तमान खान पान और जीवन शैली पाचन को विकृत करती है। हमारी लाइफस्टाइल और खाने का तरीका इतना बदल गया है कि कब्ज, गैस, अपच, अल्सर, एसिडिटी जैसी समस्याएं बहुत आम हो गई हैं। आयुर्वेदिक औषधि अवित्तिकर चूर्ण इन विकारों को दूर करने में काफी सहायक होता है। अविपत्तिकर चूर्ण के घटक अलग-अलग गुणों से भरपूर होती हैं। लेकिन इन सभी में एक गुण पाया जाता है जो रेचक गुण है। रेचक गुण शरीर से अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालता है जिससे पाचनतंत्र साफ होता है और शरीर की अवशोषण क्षमता बढ़ती है।यह चूर्ण इन सभी बीमारियों का कारगर उपचार है जैसे कि कब्ज, गैस, अपच, अल्सर, एसिडिटी आदि। इसके अलावा, इसमें किसी भी तरह के साइड इफेक्ट नहीं होते हैं। 

यह भी देखें You May Also Like

 
 
अविपत्तिकर चूर्ण आसानी से घर पर बनाया जा सकता है। इसके लिए आपको निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होगी:
सामग्री:
  1. कालीमिर्च – Black Pepper (Piper nigrum) 1 भाग
  2. सोंठ – Ginger (Zingiber officinale) 1 भाग
  3. पिप्पली – Long Pepper (Piper longum) 1 भाग
  4. आंवला (आमलकी) – Indian Gooseberry (Amla)  (Emblica officinalis) 1 भाग
  5. बहेड़ा (विभितकी) – Beleric Myrobalan (Bibhitaki) (Terminalia bellirica) 1 भाग
  6. हरड (हरीतकी) – Haritaki (Yellow Myrobalan) (Terminalia chebula) 1 भाग
  7. नागरमोथा – Nut Grass (Cyperus rotundus) 1 भाग
  8. वायविडंग – False Black Pepper (Embelia ribes) 1 भाग
  9. विड लवण – Black Salt (Nigella sativa) 1 भाग
  10. इलायची – Cardamom (Elettaria cardamomum) 1 भाग
  11. तेजपत्र – Cinnamon (Cinnamomum verum) 1 भाग
  12. लौंग – Clove (Syzygium aromaticum) 10  भाग
  13. निशोथ – Turpeth (Operculina turpethum) 40 भाग
  14. मिश्री – Rock Sugar (Crystallized sugar lumps) (Saccharum officinarum) 60 भाग

विधि:
  1. सभी सामग्री को एक साथ एक थाली में डालें और अच्छी तरह से साफ़ कर लें.
  2. सूखी सामग्री (मिश्री को छोडकर) अन्य को कुछ देर तक धुप में रखें जिससे उनकी नमी निकल जाए.
  3. अब इनको बारीक कूट लें और मिक्सी में महीन पीस लें. मिश्री को भी चूर्ण रूप में इसमें मिला दें.
  4. एक हवाबंद डिब्बे में स्टोर करें।

अविपत्तिकर चूर्ण के घटक और उनके आयुर्वेदिक लाभ

Sounth सौंठ जिंजिबर ऑफ़िसिनेल / Zingiber officinale

Sounth सौंठ जिंजिबर ऑफ़िसिनेल / Zingiber officinale: सौंठ (जिंजिबर ऑफ़िसिनेल), अदरक का सूखा रूप है जिसके कई औषधीय फायदे होते हैं । सौंठ को मसालों और दवाओं के रूप में उपयोग किया जाता है। यह भोजन में भी उपयोग किया जाता है और इसके औषधीय गुणों के कारण यह पाचन को सुधारता है और सर्दी और जुखाम जैसी समस्याओं का इलाज करता है।

शूलं पित्तघ्नं रुक्षं च तिक्तं कफकृच्छ्रवात्तृद्विषं श्लेष्मलं च।
विशेषतो विद्यते निःश्वासकासश्वासशुले वातपित्तकफवृत्तिश्च॥

सौंठ शूल, पित्त, रुक्षता, तीखापन, कफकृच्छ्रता, वातपित्तकफ वृत्ति, निःश्वास, कास और श्वासशूल जैसी बीमारियों में उपयोगी होता है।
विष्वादिवीटः सौवीरवः कृमिनाश्नो वयःपुषा।
पाचयत्यनिलं वातं चिरोदधि सुखाय च।।

सौंठ विष, कीटों को मारने वाली औषधि, वयस्कों को बल प्रदान करती है। यह पाचन शक्ति को बढ़ाता है और वात को शांत करने में मदद करता है।

शूलांतको ज्वरघ्नश्च श्रमघ्नोऽग्निस्तु वातघ्नः।
पाचनं बलवर्धनं च तृष्णाक्षयकरं तथा।।

सौंठ के पाचन और दीपन गुणों का उल्लेख है की सौंठ शूल, ज्वर, श्रम, वात और तृष्णा को दूर करने में मदद करता है और पाचन शक्ति को बढ़ाता है।

वातपित्तकफानाशं शूलहरं श्रमापहम्।
अग्निसंधानशक्तिश्च पाचनं सौविरं भवेत्।।

सौंठ वात, पित्त और कफ को नष्ट करने में मदद करता है, शूल, श्रम और कब्ज को दूर करता है और पाचन शक्ति को बढ़ाता है।
 

Kali Mirch काली मिर्च (Piper nigrum)

विदग्धपाचनार्थं तु त्यक्त्वा शुष्कां प्रमार्जयेत्।
शूलं वातं ज्वरं चापि चिरेण नश्यति क्षणात्।।

काली मिर्च के दीपन और पाचन गुणों का उल्लेख है। यह शूल, वात और ज्वर को दूर करने में मदद करता है और दीपन और पाचन शक्ति को बढ़ाता है। 

वातं पित्तं कफं हरति त्रिदोषं चापि नाशयेत्।
तृष्णां शोणितपित्तादीन् बाधते दीपनं स्मृतम्।।

काली मिर्च के विभिन्न गुणों का उल्लेख है की यह वात, पित्त और कफ को नष्ट करने में मदद करता है और तृष्णा, रक्त और पित्तादि विकारों को दूर करता है।

Pippal पिप्पल Piper longum

ज्वरोदरकास्थिशूलजारजन्तुकास्थिपार्श्वगाः।
शोफज्वरक्षयण्निघ्नन् पिप्पली शरीरवृद्धिकृत्।।

पिप्पल के उपयोग से ज्वर, उदररोग, अस्थि शूल, ज्वर, शोफ और क्षय जैसी बीमारियों में लाभ मिलता है.

तृष्णादाहश्वासश्रूतवातपित्तघ्नोऽमलप्रदः।
कृमिबिषग्रहण्दोषैर्व्याधिसंशमनश्च सः।।

पिप्पल तृष्णा, दाह, श्वास, श्रोतव्याधि, वात और पित्त को दूर करता है, अम्ल बनाता है और कृमि, बिषग्रहण और विभिन्न रोगों का इलाज करता है।

Harad हरड़ Haritaki Terminalia chebula

त्रिदोषबलहृत् स्वराज्यकारणो जीवन्यपायस्थापनो रसायनः।
शिरोव्रणापहः सकृदुद्गीतः कासहृत् क्षयविनाशनो विभूतिः।।

हरीतकी का उपयोग त्रिदोषों को नियंत्रित करने, स्वास्थ्य को बढाने, रसायन के रूप में, शिरोरोगों को दूर करने, कफ और क्षय को नष्ट करने और विभूति बनाने के लिए किया जाता है।
 
हरीतकी पित्तशमको रोचनी च।
श्लेष्मलघ्नी तिक्ता दाहप्रशमानी च॥
भावप्रकाश
हरीतकी पित्त को शांत करने वाली, रोचनी और श्लेष्मलघ्नी होती है। यह दाह और जलन को शांत करने में भी मददगार होती है।

हरीतकी विपाके तिक्तस्वादु लघुः कफवातजित्।
पाचनीयः श्लेष्महरो दीपनो बल्यः स्थैर्यदो वृष्यः॥

हरीतकी विपाक में तिक्त और स्वाद में लघु होती है। यह कफ और वात को शांत करती है। यह पाचन करने वाली होती है और श्लेष्म को हटाती है। यह दीपन, बल्य, स्थैर्यदायक और वृष्य होती है।
 
सर्वदोषहरो हृद्यो दीपनः पाचनं लघु।
चक्षुर्मेहाकृमिरोघजित् सुधावृष्याक्षिकारकः॥

हरीतकी सभी दोषों को हटाने वाली होती है और हृदय के लिए लाभदायक होती है। यह दीपन करने वाली और पाचन करने वाली होती है। यह चक्षु, मूत्र और कीट-रोग को नष्ट करने में मददगार होती है। यह सुधा को बढ़ाने, वृष्य करने और अक्षिका रोग को दूर करने में भी मददगार होती है।

Baheda भरड़ Bibhitaka Terminalia bellirica

त्रिदोषघ्नं तु बहलं वातपित्तकफवात्।
कफज्वरार्शशूलानामस्थिलोमानिदानतः॥

बहेड़ा तीनों दोषों को शांत करने में मदद करता है और कफज्वर, अर्श, शूल और स्थूलीमान आदि रोगों को ठीक करने में उपयोगी होता है।
 
विभीतकी त्रिदोषघ्नी, कफपित्तशमनी।
उष्णवीर्या तिक्तरसा कटुष्णा तिक्तविर्यजा॥
भावप्रकाश निघण्टु


त्रिदोषहरी बल्या च रुक्षा लघुशीतला।
स्वादुरसा तिक्तरसा कटु शीतविर्यजा॥
भावप्रकाश निघण्टु,


कफपित्तशमनी चैव त्रिदोषहरिणी तथा।
सर्वास्थानकृशाहृद्या कुष्ठघ्नी मूत्रविषहा॥
भावप्रकाश निघण्टु,

विभीतकी को त्रिदोषघ्नी, कफ और पित्त को शांत करने वाली, उष्णवीर्य, तिक्त रस, कटु शीत वीर्य और स्वादु रस से युक्त होती है।

पाचनं विशुद्धं वातपित्तश्लेष्मलघुशीतलं।
कृशं तिक्तं लघु वीर्यं दीपनं बहुफलं शुभम्॥
भावप्रकाश निघण्टु

विभीतकी को पाचन शुद्ध करने वाली, वात, पित्त और कफ को शांत करने वाली, लघु शीतल, कृश, तिक्त, लघु वीर्य और दीपन के लिए बहुत गुणकारी कहा गया है.

Amla आँवला Amalaki Phyllanthus emblica

पाचनं लघु शीतोष्णं वातकफविनाशनम्।
रुक्षं तीक्ष्णं विशुद्धं च दीपनं दुर्लभं फलम्॥
भावप्रकाश निघण्टु

आंवला को रुक्ष, तीक्ष्ण, लघु, शीत, उष्ण, वात और कफ के नाशक गुणों से सुसज्जित बताया गया है। इसके अलावा यह विशुद्ध और दीपन के लिए भी उपयोगी होता है।
 
तच्चं द्रव्यं सुशीतं च पित्तपाकविकारहाम्।
श्रेयस्करं दीपनं च बलवर्धनमिष्यते॥
धन्वन्तरि निघण्टु

आंवला को रसायन, पाचन, दीपन और बलवर्धक होता है।

Nagarmotha नागरमोथा Musta Cyperus rotundus

नागरमोथा या पिपली मूल को पाचन और दीपन के लिए उपयोगी माना जाता है। इसके अतिरिक्त, यह अम्ल रस और शीतल गुणों से भी युक्त होता है। 

अम्लं शीतं स्निग्धं वातकृद्विषघ्नम्।
रुच्यं पाचनशूलहरं नागरमोथः स्मृतः॥

नागरमोथा को अम्ल, शीत, स्निग्ध और वातकृत् गुणों से सम्पन्न बताया गया है। इसके साथ ही यह पाचन शक्ति व शूलहर गुणों से भी युक्त होता है।
 
अविपत्तिकर चूर्ण के अन्य घटक
  1. Vid Namak विडनमक/नौसादर
  2. VaiVidang बाय विडंग Embelia Ribes
  3. Laghu Ela छोटी एला (Sukshmaila API) Eletteria cardamomum
  4. Tej Patra तेजपत्र Cinnamomum tamala, Indian bay leaf
  5. Lavang लौंगLavang (Syzgium aromaticum)
  6. Nisoth निशोथ
  7. Mishri मिश्री

इन विकारों में लाभदायक है अविपत्तिकर चूर्ण

  1. आंतों के इंफेक्शन
  2. आंतों की सूजन
  3. आंत के अल्सर
  4. सीने की जलन
  5. पेट में एसिड बनने की समस्या
  6. पेट फूलना
  7. मितली आने की समस्या
  8. भूख ना लगना
  9. शौच का ठीक से नहीं लगना।
  10. पेट में गैस का अधिक बनना। 

उपरोक्त के अतिरिक्त अविपत्तिकर चूर्ण के फायदे:

  1. आंतों के इंफेक्शन को दूर करें: यह चूर्ण आंतों के इंफेक्शन को कम करके आंतों को स्वस्थ रखने में मदद करता है।
  2. आंतों की सूजन को कम करें: अविपत्तिकर चूर्ण आंतों की सूजन को कम करने में मदद करता है।
  3. आंत के अल्सर को ठीक करें: यह चूर्ण आंत के अल्सर को ठीक करने में मदद करता है और विषाक्त प्रदार्थों को शरीर से बाहर निकालने में सहायक होता है।
  4. सीने की जलन को कम करें: अविपत्तिकर चूर्ण सीने की जलन को कम करता है, खट्टी डकार और पेट फूलने को भी दूर करता है।
  5. पेट में एसिड बनने की समस्या को दूर करें: यह चूर्ण पेट में एसिड बनने की क्रिया को ठीक करता है।
  6. पेट फूलना को कम करें: अविपत्तिकर चूर्ण पेट फूलने की समस्या को कम करता है, इसके सेवन से पेट हल्का रहता है।
  7. मितली आने की समस्या को दूर करें: पेट में गैस बनने, आफरा होने पर मितली आदि है, ऐसे में यह चूर्ण आपको इन विकारों को दूर रखने में सहायक होता है।
  8. भूख ना लगना को दूर करें: यह चूर्ण भूख बढाता है।
  9. शौच ठीक से ना होने की समस्या को कम करें: अविपत्तिकर चूर्ण शौच की समस्या ठीक करता है और मल को अधिक सख्त नहीं होने देता है। 
  10. क्रॉनिक गैस्ट्राइटिस को कम करता है- गैस्ट्राइटिस एक ऐसी समस्या है जिसमें पेट की लाइनिंग में सूजन हो जाती है। अविपत्तिकर चूर्ण से पेट से एसिड का स्तर कम होता है, सूजन कम होती है और पेट में म्यूकस लाइनिंग की रूकावट को दूर करने में मदद मिलती है। इसलिए, यह क्रोनिक गैस्ट्राइटिस को कम करने में सक्षम होता है। 
  11. कृमिनाशक :  अविपत्तिकर चूर्ण कृमि नाशक भी होता है, कालीमिर्च, नागरमोथा और वायविडंग ऐसे घटक हैं जो शरीर से कृमि को समाप्त करते हैं।

Side Effects of Avipattikar Churna in Hindi-अविपत्तिकर चूर्ण के साइड इफ़ेक्ट

अविपत्तिकर चूर्ण एक आयुर्वेदिक है जिसके सामान्य रूप से कोई दुष्प्रभाव नहीं होते हैं। फिर भी आप इस चूर्ण के सेवन से पूर्व वैद्य से सलाह अवश्य ही प्राप्त कर लें। गर्भवती स्त्री और छोटे बच्चों को यह चूर्ण नहीं दिया जाना चाहिये। 

More Recommendations to explore




Ayurvedic Treatment for Acidity | Acharya Balkrishna

Latest Bhajan Lyrics
 

अविपत्तिकर चूर्ण क्या है?
उत्तर: अविपत्तिकर चूर्ण एक आयुर्वेदिक चिकित्सा उपचार है जो अपच, एसिडिटी और गैस समस्याओं को ठीक करने में मदद करता है। इसके सेवन से पाचन तंत्र मजबूत होता है और गैस और एसिडिटी समस्याओं से राहत मिलती है। इस चूर्ण के अनेक गुण होते हैं, जो इसे इतना प्रभावी बनाते हैं। इसे उपयोग करने से आंतों के इंफेक्शन, आंतों की सूजन, आंत के अल्सर, सीने की जलन, पेट में एसिड बनने की समस्या, पेट फूलना, मितली आने की समस्या, भूख ना लगना, शौच का ठीक से ना होना, गैस्‍ट्रोइंटेस्‍टाइनल डिजीज में लाभ प्राप्त होता है। इसके अलावा, अवित्तिकर चूर्ण में रेचक गुण होता है, जो शरीर से अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालकर पाचनतंत्र को साफ करता है। इससे शरीर की अवशोषण क्षमता बढ़ती है और शरीर को अपशिष्ट पदार्थों से मुक्त रखने में मदद मिलती है।
 
अविपत्तिकर चूर्ण का सेवन कैसे करें?
उत्तर: एक छोटी चम्मच चूर्ण गर्म पानी के साथ खाने से पंद्रह मिनट पहले, इसे रात को खाने के उपरान्त भी लिया जा सकता है.
 
क्या अविपत्तिकर चूर्ण के कोई दुष्प्रभाव हो सकते हैं?
उत्तर: अविपत्तिकर चूर्ण के अधिक सेवन से कुछ लोगों को असहजता हो सकती है, अतः इस हेतु आप वैद्य से अवश्य संपर्क करें.
 
प्रश्न: क्या अविपत्तिकर चूर्ण गर्भवती महिलाओं द्वारा सेवन किया जा सकता है?
अविपत्तिकर चूर्ण के सेवन से पहले विशेषज्ञ या चिकित्सक से परामर्श करना जरूरी होता है। 

Heath/Medical Disclaimer : The information contained in this post is for educational and informational purposes only and is not intended as medical advice. Always consult with a qualified healthcare professional before making any changes to your health or wellness routine or making opinion for Avipattikar Churna. The author of this blog, Saroj Jangir (Admin), is a distinguished expert in the field of Ayurvedic Granths. She has a diploma in Naturopathy and Yogic Sciences. This blog post, penned by me, shares insights based on ancient Ayurvedic texts such as Charak Samhita, Bhav Prakash Nighantu, and Ras Tantra Sar Samhita. Drawing from an in-depth study and knowledge of these scriptures, Saroj Jangir has presented Ayurvedic Knowledge and lifestyle recommendations in a simple and effective manner. Her aim is to guide readers towards a healthy life and to highlight the significance of natural remedies in Ayurveda.
Please Read Our Website (Blog) Medical Disclaimer by visiting here
+

एक टिप्पणी भेजें