लंका में कैसे आये वीर हनुमान भजन

लंका में कैसे आये वीर हनुमान भजन

 
लंका में कैसे आये वीर हनुमान

लंका में कैसे आये वीर हनुमान,
लंका में कैसे आये वीर हनुमान,
लंका में कैसे आये वीर हनुमान,
लंका में कैसे आये वीर हनुमान।

कौन के पुत्र कौन के सेवक,
कौन के जाये वीर हनुमान,
लंका में कैसे आये वीर हनुमान,
लंका में कैसे आये वीर हनुमान।

पवन के पुत्र राम के सेवक,
अंजनी के जाये वीर हनुमान,
लंका में कैसे आये वीर हनुमान,
लंका में कैसे आये वीर हनुमान।

कैसे तुम ने पुल बनवायो,
कैसे तो सेना लाये वीर हनुमान,
लंका में कैसे आये वीर हनुमान,
लंका में कैसे आये वीर हनुमान

नल और नील ने पुल बनवायो,
ऐसे सेना लाये वीर हनुमान,
लंका में कैसे आये वीर हनुमान,
लंका में कैसे आये वीर हनुमान।

कैसे तो तूने बगिया उजाड़ी,
कैसे तो फल खाये वीर हनुमान,
लंका में कैसे आये वीर हनुमान,
लंका में कैसे आये वीर हनुमान।

तोड़ मरोड़ हमने बगिया उजाड़ी,
पके तो फल खाये वीर हनुमान,
लंका में कैसे आये वीर हनुमान,
लंका में कैसे आये वीर हनुमान।

कैसे तो तुम ने लंका जलाई,
कैसे तो पूंछ बुझाई वीर हनुमान,
लंका में कैसे आये वीर हनुमान,
लंका में कैसे आये वीर हनुमान।

उलट पुलट हम ने लंका जलाई,
समंदर पूंछ बुझाई वीर हनुमान,
लंका में कैसे आये वीर हनुमान,
लंका में कैसे आये वीर हनुमान।

कैसे तो तुम ने रावण को मारा,
कैसे तो सीता लाये वीर हनुमान,
लंका में कैसे आये वीर हनुमान,
लंका में कैसे आये वीर हनुमान।

अग्निबाण से राम ने रावण को मारा,
ऐसे तो सीता लाये प्रभु श्री राम,
लंका में कैसे आये वीर हनुमान,
लंका में कैसे आये वीर हनुमान।

लंका में कैसे आये वीर हनुमान,
लंका में कैसे आये वीर हनुमान,
लंका में कैसे आये वीर हनुमान,
लंका में कैसे आये वीर हनुमान।


लंका में कैसे आए वीर हनुमान | Lanka Mein Kaise Aaye Veer Hanuman | Balaji Bhajan | Komal Gouri

Song Info :-
■ Title▹Lanka Me Kaise Aaye Veer Hanuman
■ Artist ▹ Priyanka
■ Singer ▹Komal Gouri
■ Music ▹ Pardeep Panchal
■ Lyrics & Composer ▹ Traditional
■ Editing ▹ KV Sain 

हनुमानजी के चरित्र का प्राण है — असीम शक्ति, अटूट विश्वास, और पूर्ण समर्पण। जब वे लंका पहुँचे, तो वह केवल एक यान या छलांग नहीं थी, बल्कि भक्ति की उड़ान थी। हर कदम पर यह भाव झलकता है कि जिसे ‘राम कार्य’ का आदेश मिला, उसके लिए कोई भी दूरी, कोई भी बाधा असंभव नहीं। समुद्र हो या राक्षसों का भय, वे सब हनुमान के विश्वास के आगे झुक जाते हैं। यह कथा केवल वीरता का नहीं, बल्कि यह दर्शाती है कि जब मन ईश्वर के नाम में लीन हो जाए, तब सीमाएँ टूट जाती हैं, प्रकृति भी सहयोगी बन जाती है। जिस विश्वास से उन्होंने लंका में प्रवेश किया, उसी से सारा अधर्म कांप उठा।

हनुमान का जलाना, पूंछ बुझाना, बगिया उजाड़ना — सब उस उच्च भाव के प्रतीक हैं जहाँ अन्याय के विरुद्ध दिव्य क्रोध भी भक्ति का ही एक रूप होता है। परंतु उनकी शक्ति केवल विनाश में नहीं, सेवा में बसती है। वे रावण से युद्ध करने नहीं, माता सीता का संदेश लाने गए थे। यही हनुमान का मंगल भाव है – पराक्रम में भी नम्रता, सामर्थ्य में भी करुणा। उनकी कहानी यह याद दिलाती है कि जो अपने जीवन का हर कर्म राम के नाम समर्पित कर देता है, उसके लिए संसार की कोई लंका दुर्गम नहीं रहती। हर बार जब यह कथा गायी जाती है, तो सुनने वाले के मन में यह आस्था जगती है कि जब तक भीतर हनुमान का साहस जीवित है, तब तक जीवन की कोई बाधा स्थायी नहीं। 


यह भजन भी देखिये

Next Post Previous Post