ओ नंदी ले जा मेरा सन्देश भजन
ओ नंदी ले जा मेरा सन्देश,
कहियो डमरु वाले को,
ओ नंदी ले जा मेरा सन्देश,
सुनाईयो डमरु वाले को।
कई जन्मों से माला जप रही,
चन्दन इस माथे पे लग रही,
अरे मेरा जोगण वाला भेष,
सुनाईयो डमरु वाले को,
ओ नंदी ले जा मेरा सन्देश,
सुनाईयो डमरु वाले को।
मैं विरह में मरी पड़ी हूं,
कौन सुने दुख भरी रे पड़ी हूं,
अरे वो जगत पति जगदीश,
सुनाईयो डमरु वाले को,
ओ नंदी ले जा मेरा सन्देश,
सुनाईयो डमरु वाले को।
पहाड़ों ऊपर तेरा ठिकाना,
प्राण नाथ शिव शम्भु माना,
अरे मेरा लगे जी जिमे ठेस,
सुनाईयो डमरु वाले को,
ओ नंदी ले जा मेरा सन्देश,
सुनाईयो डमरु वाले को।
खान पीन में भांग धतूरा,
कोयल काली वन में कूके,
अरे मैं कैसे आऊं पेश,
सुनाईयो डमरु वाले को,
ओ नंदी ले जा मेरा सन्देश,
सुनाईयो डमरु वाले को।
ओ नंदी ले जा मेरा सन्देश,
कहियो डमरु वाले को,
ओ नंदी ले जा मेरा सन्देश,
सुनाईयो डमरु वाले को।
कहियो डमरु वाले को,
ओ नंदी ले जा मेरा सन्देश,
सुनाईयो डमरु वाले को।
कई जन्मों से माला जप रही,
चन्दन इस माथे पे लग रही,
अरे मेरा जोगण वाला भेष,
सुनाईयो डमरु वाले को,
ओ नंदी ले जा मेरा सन्देश,
सुनाईयो डमरु वाले को।
मैं विरह में मरी पड़ी हूं,
कौन सुने दुख भरी रे पड़ी हूं,
अरे वो जगत पति जगदीश,
सुनाईयो डमरु वाले को,
ओ नंदी ले जा मेरा सन्देश,
सुनाईयो डमरु वाले को।
पहाड़ों ऊपर तेरा ठिकाना,
प्राण नाथ शिव शम्भु माना,
अरे मेरा लगे जी जिमे ठेस,
सुनाईयो डमरु वाले को,
ओ नंदी ले जा मेरा सन्देश,
सुनाईयो डमरु वाले को।
खान पीन में भांग धतूरा,
कोयल काली वन में कूके,
अरे मैं कैसे आऊं पेश,
सुनाईयो डमरु वाले को,
ओ नंदी ले जा मेरा सन्देश,
सुनाईयो डमरु वाले को।
ओ नंदी ले जा मेरा सन्देश,
कहियो डमरु वाले को,
ओ नंदी ले जा मेरा सन्देश,
सुनाईयो डमरु वाले को।
नन्दी लेजा मेरा सन्देश || भोले पार्वती हिट भजन || Rajni Sharma || Bhole Baba Song |Mor Bhakti Bhajan
Song Bhajan - Nandi Leja Mera Sandesh
Artist - Rajni Sharma
Singer - Aarti Duggal
Lyrics - Traditional
Music - Mor Music Studio ( Sid Sinha )
Camera & Edit - Deepak Balyan
Label - Mor Music Company ( 9871070123 )
जब नंदी को संदेश थमाते हैं तो डमरू वाले तक पुकार पहुंच जाती है, कई जन्मों से माला जपते, चंदन लगाते हुए जोगन का भेष धारण कर लिया। विरह में तड़पते हुए जगदीश को याद करते हैं, पहाड़ों पर बसे प्राणनाथ शिव शंभू को पुकारा जाता है। भांग धतूरा का भोजन, काली कोयल की कूक सुनकर भी कैसे पेश हों, ये दर्द नंदी ही पहुंचाए जहां हर सांस में शिव का नाम बसता है। हमें सिखाते हैं कि जोगी बनकर तपना, विरह सहना ही उन्हें रिझाने का रास्ता है।
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