तन का क्यों करता गरुर लिरिक्स Tan Ka Kyo Karata Garur Lyrics

तन का क्यों करता गरुर लिरिक्स Tan Ka Kyo Karata Garur Lyrics

ऐजी रतन का तु जतन कर,
और माटी का सिंगार,
अरे आया कबीरा,
और गया तो झुठा है संसार।

उजड़ खेड़े ठीकरी और,
गढ़ी गढ़ी गया कुम्हार,
अरे रावण जैसा चली गया,
वी लंका का सरदार।

तन का क्यूं करता है गरूर,
एक दिन जाना पडेगा जरुर,
हाँ जाना पडेगा जरुर,
एक दिन जाना पडेगा,
जरुर तन का क्या करता गरूर,
एक दिन जाना पडेगा जरुर।

राम लक्ष्मण अमर जो होते,
रहते हाल हजूर,
वो भी जग में रह नही पाए,
समझ के नर भरपुर।

हाँ कुम्भकरण  रावण,
बलि योद्धा कहते थे हम शूर,
कठिन काल ने उनको भी घेरा,
हो गए चकना चुर।

हाँ अर्जुन जैसा क्षत्रिय जग में,
करण दानी भरपुर,
भीम युधिष्ठिर पांचो पांडव,
मिल गए माटी धुल।

पानी पवन आकाश भी जाएगा,
जाएगा चंदा और सुरज,
कहे कबीर भजन कर बंदे,
काल खड़ा है हजूर।

तन का क्यूं करता है गरूर,
एक दिन जाना पडेगा जरुर,
तन का क्यूं करता है गरूर,
एक दिन जाना पडेगा जरुर।



तन का क्यों करता गरुर | Tan Ka Kyon Karta Garur | Geeta Parag Kabir |

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