वन चले राम रघुराई

वन चले राम रघुराई

वन चले राम रघुराई,
संग उनके सीता माई,
राजा जनक की जाई,
वन चले राम रघुराई,
संग उनके सीता माई।

आगे आगे राम चलत हैं,
पीछे लक्ष्मण भाई,
बीच में उनके चले जानकी,
तीनों लोक की मायी,
वन चले राम रघुराई,
संग उनके सीता माई,
राजा जनक की जाई।

राम बिना म्हारी सूनी अयोध्या,
लखन बिना ठकुराई,
सीता बिना म्हारी सूनी रसोई,
कौन करे चतुराई,
वन चले राम रघुराई,
संग उनके सीता माई,
राजा जनक की जाई।

सावन बरसे भादो गरजै,
पवन चले पुरवाई,
कौन वृक्ष नीचे भीजत होंगे,
राम लखन सीता माई,
वन चले राम रघुराई,
संग उनके सीता माई,
राजा जनक की जाई।

रावण मार राम घर आये,
घर घर बटत बधाई,
सुर नर मुनि जन करे आरती,
तुलसी दास जस गाई,
वन चले राम रघुराई,
संग उनके सीता माई,
राजा जनक की जाई।

वन चले राम रघुराई,
संग उनके सीता माई,
राजा जनक की जाई,
वन चले राम रघुराई,
संग उनके सीता माई।


राजस्थान का सुंदर Marwadi Bhajan - वन चले राम रघुराई | Prakash Mali | जरूर सुने | Rajasthani Song

Next Post Previous Post