बृज में डंका बाज रहे हो राधा रानी को भजन

बृज में डंका बाज रहे हो राधा रानी को भजन

 

बृज में डंका बाज रहे,
हो राधा रानी को,
या बृज में हुक्म चाल रो से,
बरसाने वारी को।

राधा काटे सबकी ब्याधा,
जो तू जब जपेगो राधा राधा,
तेरे दुख को कर दे आधा,
हल हो जाये परेशानी,
को या बृज में।

गहरी नदिया नाव पुरानी,
भजले राधे राधे राधे प्राणी,
ना फिर मिले जिंदगानी,
मूरख तज नादानी,
को या बृज में।

राधा नाम की महिमा ऐसी,
अमृत संजीवन के जैसी,
ना दवा मिलेगी,
ऐसी हर ले पीर पुरानी,
को या बृज में।

देखो बरसाने में जाकर,
देखो वृंदावन में आकर,
बृजराज मस्तक ऊपर लाकर,
प्रीतम प्यारे हैं चाकर,
श्री वृषभानु दुलारी,
को या बृज में।

प्रीतम प्यारे कवि निराले की आवाज में मन प्रसन्न भक्ति भाव में डूबो देने वाला राधा रानी जी का मधुरगीत

Song :-# हरयाणे के 41 गाव की होली
नाय मिली मेल की नार जाय देखो हरियाणा
Haryane ke 41 gaav mi holi 
Nay mili Mel mi naar jaay dekho haryana
Singer :- पीतम प्यारे ,preetam pyare
Editor :- nr music haryanvi 

बरसाने की गलियों में जैसे आज भी कोई मधुर पुकार गूंजती है — “राधे राधे।” वह पुकार केवल नाम नहीं, एक गहरी अनुभूति है, जो थके मन को सहज कर देती है। कहा जाता है कि जब राधा का नाम छलकता है, तो दुख का वजन आधा रह जाता है। यह एक ऐसा अनुभव है, जहाँ शब्द साधन बन जाते हैं, और नाम ही औषधि। जब कोई प्रेम से उनका स्मरण करता है, तो जीवन की उलझी गाठें खुलने लगती हैं। बृजभूमि में उनकी करुणा का यह प्रभाव आज भी महसूस किया जा सकता है — जैसे किसी ने भीतर के सूनेपन में उजाला बसा दिया हो।

राधा का नाम केवल भक्ति का नहीं, आत्मा के नवजीवन का आह्वान है। बरसाने की मिट्टी का हर कण जैसे यह कहता है कि प्रेम ही मुक्ति का सबसे सरल मार्ग है। वृंदावन और बरसाने में आज भी वह अलौकिक सौंधी गंध है, जिसमें राधा की ममता बसती है। वहाँ पहुँच कर यह अनुभव होता है कि ईश्वर सेवा में नहीं, समर्पण में मिलते हैं। प्रेम जब अहंकार को पिघलाता है, तब भीतर कोई यह कहता है — “राधा वही है जो पीड़ा हर लेती है, और वही जो अपने प्यारे के चरणों में सब कुछ समर्पित कर देती है।” जीवन के हर बंधन को हल्का करने वाला यह भाव ही सच्चे अर्थों में राधा की महिमा है। 

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