बृज में डंका बाज रहे हो राधा रानी को
बृज में डंका बाज रहे,
हो राधा रानी को,
या बृज में हुक्म चाल रो से,
बरसाने वारी को।
राधा काटे सबकी ब्याधा,
जो तू जब जपेगो राधा राधा,
तेरे दुख को कर दे आधा,
हल हो जाये परेशानी,
को या बृज में।
गहरी नदिया नाव पुरानी,
भजले राधे राधे राधे प्राणी,
ना फिर मिले जिंदगानी,
मूरख तज नादानी,
को या बृज में।
राधा नाम की महिमा ऐसी,
अमृत संजीवन के जैसी,
ना दवा मिलेगी,
ऐसी हर ले पीर पुरानी,
को या बृज में।
देखो बरसाने में जाकर,
देखो वृंदावन में आकर,
बृजराज मस्तक ऊपर लाकर,
प्रीतम प्यारे हैं चाकर,
श्री वृषभानु दुलारी,
को या बृज में।
प्रीतम प्यारे कवि निराले की आवाज में मन प्रसन्न भक्ति भाव में डूबो देने वाला राधा रानी जी का मधुरगीत
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