बेटी चली पराये देश लिरिक्स Beti Chali Paraye Desh Lyrics

बेटी चली पराये देश लिरिक्स Beti Chali Paraye Desh Lyrics

क्या इस आंगन के कोने में,
मेरा कोई स्थान नहीं,
अब मेरे रोने का पापा,
तुमको बिलकुल ध्यान नहीं,
बेटी चली पराये देश,
बेटी चली पराये देश,
पंख लगाकर उड़ चली,
धर चिड़िया का भेष।

सुनी आंखे ताकती,
महल अटारी द्वार,
आज पिघलती दिखती
पत्थर की दीवार,
बेटी चली पराये देश।

घड़ी विदा की है खड़ी,
केवल दो पल दूर,
मुखड़े पर मुस्कान है,
आंखों में है नूर,
बेटी चली पराये देश।

दे आशीष ये चाहते,
बंधु सखा मां बाप,
जहां रहे सुख से रहे,
रहे दूर संताप,
बेटी चली पराये देश,
बेटी चली पराये देश,
पंख लगाकर उड़ चली,
धर चिड़िया का भेष।

बेटी चली पराये देश,
बेटी चली पराये देश,
पंख लगाकर उड़ चली,
धर चिड़िया का भेष।
 



बेटी चली पराए देश | Beti Chali Paraye desh | Mahabharat Song | BR Chopra Mahabharat

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