महफ़िल है श्याम आपकी कृष्णा भजन
महफ़िल में आइये ज़रा,
पलकें बिछाए बैठे हैं,
कुछ तो फरमाइए ज़रा,
महफ़िल है श्याम आपकी।
यूँ तो हैं लाखों कलियाँ,
फिर भी सूना है ये चमन ,
चरणों में लगा खाटू की,
मिट्टी तो लाइए ज़रा
महफ़िल है श्याम आपकी।
नादानियों पे मेरी,
करते हमेशा पर्दा तुम,
परदे की हो गई आदत,
पर्दा हटाइये ज़रा
महफ़िल है श्याम आपकी।
तोहफे में तुम्हे देते,
अम्बार आंसुओं भरा,
उस पर ये तुमसे कहते हैं,
अजी मुस्कुराइए ज़रा,
महफ़िल है श्याम आपकी।
घडी इंतज़ार की,
अब बेसब्र हो रही है,
बैठा है राज चरणों में,
यूँ ना सताइये ज़रा,
महफ़िल है श्याम आपकी।
महफ़िल है श्याम आपकी,
महफ़िल में आइये ज़रा,
पलकें बिछाए बैठे हैं,
कुछ तो फरमाइए ज़रा,
महफ़िल है श्याम आपकी।
Raj Pareek - महफ़िल है श्याम आपकी Mehfil Hai Shyam Aapki Mehfil Mein Aaiye Zara | Khatu Shyam Bhajan
⭐Song: Mehfil
⭐Singer & Writer: Raj Pareek
⭐Music: Dipankar Saha
⭐Category: Hindi Devotional (Shyam Bhajan)
जब मन श्याम की प्रतीक्षा में होता है, तो प्रतीक्षा भी पूजा बन जाती है। आँखों में आशा की लौ जलती है और हर सांस में यही पुकार रहती है कि “आइए प्रभु, इस धरा को अपने चरणों की सुवास से भर दीजिए।” यह पुकार केवल बुलावा नहीं, एक आत्मीय आग्रह है — जैसे कोई विरहिणी पुकारती है अपने प्रिय को कि अब आओ, इस मौन में थोड़ी सी मुस्कान भर दो। वह स्वीकार नहीं चाहती, केवल एक झलक चाहती है — ताकि अनुभूति हो कि प्रेम अभी भी उतना ही जीवित है जितना पहले था।
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श्याम के प्रति यह प्रेम उन कलियों की तरह है जो बिना सूर्य के भी खिलने की जिद रखती हैं। जीवन की नासमझी और कमजोरी में भी वह भरोसा कायम है कि प्रभु सब ढक लेते हैं, सब सँवार देते हैं। जब आँसुओं का अम्बार भेंट में रखा जाता है, तो वह भी उपहार बन जाता है क्योंकि उसमें प्रेम की सच्चाई छिपी होती है। यही सच्चा मिलन है — जब प्रतीक्षा के स्वर में समर्पण घुल जाता है, और मौन भी वाणी बन जाता है। इस भाव में हर भक्त का अनुभव यही है — जब श्याम मुस्कुराते हैं, तो पूरी महफ़िल जगमगा उठती है।
