चेत रे गुमानी फिर यो जनम ना मिले भजन

चेत रे गुमानी फिर यो जनम ना मिले भजन

साखी - ऐजी सतयुग त्रेता द्वापर,
और यह कलयुग अनुमान,
अरे सार शबद एक साच है,
और झुठ सब ज्ञान॥

टेक :- चेत रे गुमानी फिर ये जनम ना मिलेगा
माया संग ना चले काया संग ना चले...
चरण 1.:-अरे दस ओर सोलह गया खेल में
बिस तीस रहा माया कि जेल,
चालीस साल तीरीया कि सेज पे,
पचपन में नाड हिले रे ।
माया संग ना चल..

टेक:- चेत रे गुमानी फिर ये जनम ना मिलेगा
माया संग ना चले काया संग ना चले...
चरण 2 :- अरे काले गये सफेदी आई,
तन की खाल सुकड सब जाई,
बन्दर जेसा मुह हो जाये तेरा,
डग मग नाड हिले रे माया संग ना चले.....

टेक :- चेत रे गुमानी फिर ये जनम ना मिलेगा 
माया संग ना चले काया संग ना चले...
चरण 3 :- अरे तु कहता है मेरी मेरी ये
माया तेरी ना मेरी,
धन दोलत थारो यही रह जावे
अग्नि के साथ जलेगा माया संग ना चले....

टेक :- चेत रे गुमानी फिर ये जनम ना मिलेगा
माया संग ना चले काया संग ना चले...
चरण 4.:- भजन करेगा तो सुख पावेगा,
धन दौलत थारी काम नी आवे,
धन दौलत सब यही रह जावे कहत कबीर 
विचारी रामा संग ना चले ।

टेक :- चेत रे गुमानी फिर ये जनम ना मिलेगा
माया  संग ना चले काया संग ना चले...
 



चेत रे गुमानी फिर यो जनम ना मिले | Chet re gumani | Geeta Parag | Kabir bhajan

Next Post Previous Post