जागो हिन्द के शेरो देशभक्ति सोंग
अब जागो हिन्द के शेरो,
जागो हिन्द के शेरो,
तुम्हे जगाने आया हूं,
मैं भारत की माटी का,
इतिहास बताने आया हूं,
जागो हिन्द के शेरो,
तुम्हे जगाने आया हूं।
राजा भरत की भूमि है,
ऋषि मुनियों की ये धरा रे,
रक्षक जिसका अटल,
हिमालय सागर चरण पखारे,
देवो की इस धरती का,
गुणगान सुनाने आया हूं,
मैं भारत की माटी का,
इतिहास बताने आया हूं,
जागो हिन्द के शेरो,
तुम्हे जगाने आया हूं।
याद करो तुम वीर शिवा को,
मुगलो को ललकारा था,
राणा की कुर्बानी तो देखो,
सब कुछ देश पे वारा था,
ऐसे भारत के वीरों का,
बलिदान बताने आया हूं,
मैं भारत की माटी का,
इतिहास बताने आया हूं,
जागो हिन्द के शेरो,
तुम्हे जगाने आया हूं।
इसी देश की बेटी ने,
मुगलों को था ललकार दिया,
दोनों हाथों में ले तलवारें,
एक एक को मार दिया,
उस भारत की बेटी का,
यशगान सुनाने आया हूं,
मैं भारत की माटी का,
इतिहास बताने आया हूं,
जागो हिन्द के शेरो,
तुम्हे जगाने आया हूं।
फांसी के फंदे चूमने वाले,
खुद को गोली मारने वाले,
भगत आजाद से वीर सिपाही,
इस मिट्टी के थे रखवाले,
बिस्मिल की कविता का,
मैं भाव बताने आया हूं,
मैं भारत की माटी का,
इतिहास बताने आया हूं,
जागो हिन्द के शेरो,
तुम्हे जगाने आया हूं।
दीवारों में चुने गए,
लेकिन हार नही मानी,
वीर हकीकत भी बोले,
माँ मौत तो एकदिन है आनी,
धर्म पे मिटने वालों का,
यशगान सुनाने आया हूं,
मैं भारत की माटी का,
इतिहास बताने आया हूं,
जागो हिन्द के शेरो,
तुम्हे जगाने आया हूं।
तिलक करो तुम इस मिट्टी का,
आंखों में भरलो ज्वाला,
गर्म खून पहचान तुम्हारी,
लो हाथों में भाला,
सोए हुए सिंघो का,
स्वाभिमान जगाने आया हूं,
मैं भारत की माटी का,
इतिहास बताने आया हूं,
जागो हिन्द के शेरो,
तुम्हे जगाने आया हूं।
Singer & writer: Gautam Hindustani
Music: Sonu Dugeser & D.chandu
Editing: Master Parshant
Chorus: Radhe & Piyus
भारत का गौरवशाली इतिहास, वीरता, बलिदान और संस्कृति का संदेश इस गीत में जागृति और आत्मगौरव की पुकार बनकर गूंजता है। यह स्वरदेश की उस मिट्टी का आह्वान है जिसने भरत, शिवा, राणा, वीर बेटियों को जन्म दिया, जिन्होंने धर्म, स्वाभिमान और अपने देश पर सब कुछ न्योछावर कर दिया। प्रत्येक पंक्ति अपने अतीत की महिमा, ऋषि-मुनियों की धरा, हिमालय की रक्षा, महान बलिदानों, क्रांतिकारियों के जोश और सब दुःखी, पीड़ित पराक्रमी सपूतों की गाथा दोहराती है।
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भाव यह है कि हर भारतीय के रगों में स्वाभिमान, त्याग और आत्मगौरव का ताप है—जरूरत बस इस शक्ति को जगाने और अपनी पहचान, एकता एवं विरासत को महसूस करने की है। मिट्टी का तिलक, आंखों में जुनून, और हथेली में राष्ट्र की सुरक्षा का जज्बा दिखाना ही असली जागरण है, जिसमें बीते वीरों की स्मृति, और आने वाले कल की प्रेरणा छिपी हुई है। यही जगाने का सूत्र—इतिहास को स्मरण करो, शक्ति का जागरण करो, और घर-घर में भारतीय अस्मिता, स्वाभिमान और वीरता का दीप फिर से प्रज्वलित करो.
