युगों युगों से दुनिया चलती देशभक्ति गीत
युगों युगों से दुनिया चलती देशभक्ति गीत
युगों युगों से दुनिया चलती,
जिसके दिव्य प्रकाश में,
पुरखों की वह पौरुष गाथा,
अजर अमर इतिहास में,
भारत के इतिहास में,
भारत के इतिहास में।
अपना बल ही अपना वैभव,
कुरुक्षेत्र मैदानों में,
विजय लिखी थी खड़ग नोक से,
शक हूणी तूफानों में,
हार नहीं जय विजय पराक्रम,
पुरखों के पुरुषार्थ में।
राज्य सैकड़ों रहा विदेशी,
पर अखंड यह परिपाटी,
मिटा मिटाने वाला इसको,
तेजोमय इसकी माटी,
अमर अमिट हिंदू संस्कृति है,
जल थल में आकाश में।
भौतिकता से त्रस्त विश्व की,
एकमात्र भारत आशा,
परमानंद शांति की जननी,
पूर्ण करेगी अभिलाषा,
यत्न संगठित बने,
मील के पत्थर,
विश्व विकास में।
व्यष्टि समष्टि सृष्टि जीवन में,
कलिमल आहत मर्यादा,
हिंदू संस्कृति संस्कारों में,
दूर करेगी हर बाधा,
पतित पावनी संस्कृति गंगा,
जनमन हृदयाकाश में।
जिसके दिव्य प्रकाश में,
पुरखों की वह पौरुष गाथा,
अजर अमर इतिहास में,
भारत के इतिहास में,
भारत के इतिहास में।
अपना बल ही अपना वैभव,
कुरुक्षेत्र मैदानों में,
विजय लिखी थी खड़ग नोक से,
शक हूणी तूफानों में,
हार नहीं जय विजय पराक्रम,
पुरखों के पुरुषार्थ में।
राज्य सैकड़ों रहा विदेशी,
पर अखंड यह परिपाटी,
मिटा मिटाने वाला इसको,
तेजोमय इसकी माटी,
अमर अमिट हिंदू संस्कृति है,
जल थल में आकाश में।
भौतिकता से त्रस्त विश्व की,
एकमात्र भारत आशा,
परमानंद शांति की जननी,
पूर्ण करेगी अभिलाषा,
यत्न संगठित बने,
मील के पत्थर,
विश्व विकास में।
व्यष्टि समष्टि सृष्टि जीवन में,
कलिमल आहत मर्यादा,
हिंदू संस्कृति संस्कारों में,
दूर करेगी हर बाधा,
पतित पावनी संस्कृति गंगा,
जनमन हृदयाकाश में।
युगों युगों से दुनिया चलती||YUGO YUGO SE DUNIA CHALTI JISKE DIVYA PRAKASH ME||सामूहिक गीत
भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत युगों-युगों से विश्व को प्रकाशित करती आई है, जो अपने पुरखों के पराक्रम और उनके अमर इतिहास में सदा जीवंत रहती है। यह वह गौरवमयी गाथा है, जो कुरुक्षेत्र के मैदानों में खड़ग की नोक से विजय की कहानी लिखती है, जहां शत्रुओं के तूफानों के बीच भी पराक्रमी पुरुषार्थ कभी पराजित नहीं हुआ। यह बल, यह वैभव, भारत की माटी का तेज है, जो विदेशी शासनों के सैकड़ों वर्षों के बावजूद अखंड और अटल रहा। हिंदू संस्कृति की यह अमर परंपरा जल, थल और आकाश में सदा सर्वदा अडिग रही, जो विश्व को सत्य, अहिंसा और धर्म का मार्ग दिखाती है। इस संस्कृति की माटी में वह शक्ति है, जो इसे मिटाने वालों को भी परास्त कर देती है, और यह तेजोमय परिपाटी अनंत काल तक बनी रहती है।
आज जब विश्व भौतिकता के त्रास से जूझ रहा है, तब भारत ही वह एकमात्र आशा है, जो शांति और परमानंद का स्रोत बनकर विश्व की अभिलाषाओं को पूर्ण करने का सामर्थ्य रखता है। संगठित प्रयासों और सामूहिक यत्नों से यह देश विश्व विकास के मील के पत्थर स्थापित कर सकता है। हिंदू संस्कृति के संस्कार और मूल्य व्यष्टि और समष्टि के जीवन में कलिमल को दूर कर मर्यादा की स्थापना करते हैं। यह पतित पावनी गंगा-सी संस्कृति जन-जन के हृदयाकाश में प्रवाहित होकर हर बाधा को दूर करती है। यह वह शक्ति है, जो न केवल भारत को, बल्कि समूचे विश्व को आध्यात्मिक और नैतिक उत्थान के पथ पर ले जाती है, जहां सृष्टि के प्रत्येक जीवन में सत्य और धर्म का प्रकाश फैलता है।
आज जब विश्व भौतिकता के त्रास से जूझ रहा है, तब भारत ही वह एकमात्र आशा है, जो शांति और परमानंद का स्रोत बनकर विश्व की अभिलाषाओं को पूर्ण करने का सामर्थ्य रखता है। संगठित प्रयासों और सामूहिक यत्नों से यह देश विश्व विकास के मील के पत्थर स्थापित कर सकता है। हिंदू संस्कृति के संस्कार और मूल्य व्यष्टि और समष्टि के जीवन में कलिमल को दूर कर मर्यादा की स्थापना करते हैं। यह पतित पावनी गंगा-सी संस्कृति जन-जन के हृदयाकाश में प्रवाहित होकर हर बाधा को दूर करती है। यह वह शक्ति है, जो न केवल भारत को, बल्कि समूचे विश्व को आध्यात्मिक और नैतिक उत्थान के पथ पर ले जाती है, जहां सृष्टि के प्रत्येक जीवन में सत्य और धर्म का प्रकाश फैलता है।
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