मन नाचे श्याम के संग फागण के मेले में
मन नाचे श्याम के संग, फागण के मेले में,
मेले में, मेले में, देखो मेले में।।
मन नाचे श्याम के संग, फागण के मेले में।।
तेरी लीला सबसे न्यारी,
भगतों से जाए न बखानी।।
मेरे श्याम बड़े दातार, फागण के मेले में।।
मन नाचे श्याम के संग, फागण के मेले में।।
हारे का प्रभु तुम हो सहारा,
सबकी नैया को पार उतारा।।
मेरे श्याम कर दे बेड़ा पार, फागण के मेले में।।
मन नाचे श्याम के संग, फागण के मेले में।।
नाचे और बजाए ताली,
भर दो सबकी झोली खाली।।
मेरे श्याम देते छप्पर फाड़, फागण के मेले में।।
मन नाचे श्याम के संग, फागण के मेले में।।
कुंदन लाल यही समझावे,
पहले मात-पिता को मना ले।।
फिर आओ श्याम दरबार, फागण के मेले में।।
मन नाचे श्याम के संग, फागण के मेले में।।
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