न देना चाहे कुबेर का धन

न देना चाहे कुबेर का धन

ना देना चाहे कुबेर का धन,
मगर सलीका, स‌हूर देना।
उठा के सर जी सकूं जहां में,
बस इतनी इज़्ज़त जरूर देना।।

ना बैर कोई, ना कोई नफरत,
नज़र न आए कहीं बुराई,
हर एक दिल में तू दे दिखाई,
मेरी नज़र को वो नूर देना।
उठा के सर जी सकूं जहां में,
बस इतनी इज़्ज़त जरूर देना।।

बड़ी ना मांगूं मैं चीज़ तुमसे,
औकात जितनी है, मांगता हूं।
जो घाव दुख ने दिए हैं दिल में,
तू उसका मरहम जरूर देना।।
ना देना चाहे कुबेर का धन,
मगर सलीका, स‌हूर देना।।

(जब तक बिक ना था, 
तो कोई पूछता ना था,
तुमने खरीद कर मुझे 
अनमोल कर दिया)

मैं मांगता हूं, ऐ मेरे कान्हा,
वो चीज़ मुझको जरूर देना।
मिले ज़माने की सारी दौलत,
मगर ना मुझको गुरूर देना।।
उठा के सर जी सकूं जहां में,
बस इतनी इज़्ज़त जरूर देना।।

ना देना चाहे कुबेर का धन,
मगर सलीका, स‌हूर देना।
उठा के सर जी सकूं जहां में,
बस इतनी इज़्ज़त जरूर देना।।


Rajiv Vijayvargiya Jain Bhajan Live Video | HYDERABAD BHAKTI

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Saroj Jangir Author Admin - Saroj Jangir

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