कर्मो के लेखो से कब तक तुम खुद को बचा ना पाओगे

कर्मो के लेखो से कब तक तुम खुद को बचा ना पाओगे

कर्मों के लेखों से कब तक, 
तुम खुद को बचा न पाओगे,
एक न एक दिन तो, 
कर्मों लेखों को सामने पाओगे।
कर्मों के लेखों से कब तक, 
तुम खुद को बचा न पाओगे।।

फूलों की तमन्ना रखते हो, 
काँटों का गुलिस्तां मिलता है,
काँटों का गुलिस्तां मिलता है, 
संग कर्मों का लेखा चलता है,
जो बोया है वही काटोगे, 
जो बोया है वही काटोगे,
कब तक ये बात न मानोगे।।

कर्मों के लेखों से कब तक, 
तुम खुद को बचा न पाओगे,
एक न एक दिन तो, 
कर्मों लेखों को सामने पाओगे।
कर्मों के लेखों से कब तक, 
तुम खुद को बचा न पाओगे।।

तुम लाख करो कोशिश मगर, 
सच सामने आकर रहता है,
सब राज यहाँ खुल जाता है,
कभी झूठ नहीं सच बन सकता, 
कभी झूठ नहीं सच बन सकता,
तुम खुद बखुद झुक जाओगे।।

कर्मों के लेखों से कब तक, 
तुम खुद को बचा न पाओगे।।


कर्मो के लेखो से कब तक तुम खुद को बचा ना पाओगे ~ ममस्पर्शी कर जाने वाला श्याम भजन ~ Babita Sharma

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Saroj Jangir Author Admin - Saroj Jangir

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