ऐसी वाणी बोलिए मन का आपा खोय मीनिंग Aisi Vaani Boliye Man Ka Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Bhavarth/Arth
ऐसी वाणी बोलिए, मन का आपा खोय।
औरन को शीतल करे, आपहु शीतल होय॥
Aisi Vaani Boliye, Man Ka Aapa Khoy,
Auran Ko Sheetal Kare, Aapahu Sheetal Ho.
शब्दार्थ
शीतल – ठंडा
आपहुं – स्वयं
आपा – गुस्सा
वाणी – वचन
शीतल – ठंडा
आपहुं – स्वयं
आपा – गुस्सा
वाणी – वचन
ऐसी वाणी बोलिए मन का आपा खोय मीनिंग Aisi Vaani Boliye Man Ka Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Bhavarth/Arth
दोहे हिंदी मीनिंग: कबीर साहेब के इस दोहे का अर्थ है की हमें ऐसी वाणी का उपयोग करना चाहिए, बोलना चाहिए जिससे व्यक्ति का घमंड/अहंकार दूर हो। मृदु भाषा बोलने से वह स्वंय के अहम् को दूर करती है और दूसरों को भी शीतलता देती है। मृदु भाषा के उपयोग से ना केवल दूसरों को सुखद महसूस होता है बल्कि स्वंय के हृदय में भी शीतलता आती है। कबीर साहेब ने कई अन्य स्थानों पर वाणी दी है की व्यक्ति का स्वभाव विनम्र कब बनता है ? जब उसका अहम् शांत होने लगता है। अहम् बाधक है सत्य की प्राप्ति और वाणी के मिठास के लिए। जब व्यक्ति को यह ज्ञान हो जाता है की सारे झगड़े फसाद माया के जनित ही हैं तो उसके स्वभाव में स्वतः ही साधुता आने लगती है।