गुरु समान दाता नहीं याचक शीष समान हिंदी मीनिंग Guru Saman Data Nahi Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi /Arth
गुरु समान दाता नहीं, याचक शीष समान।
तीन लोक की सम्पदा, सो गुरु दीन्ही दान॥
Guru Saman Data Nahi, Yachak Sheesh Saman,
Teen Lok Ki Sampda, So Guru Deenhi Daan.
कबीर के दोहे का हिंदी अर्थ Kabir Ke Dohe Ka Hindi Meaning / Arth
कबीर साहेब इस दोहे में सन्देश देते हैं की गुरु के समान कोई दानी नहीं है और शिष्य याचक के समान कोई याचक नहीं है। ज्ञान रूपी अमृतमयी अनमोल संपदा गुरु अपने शिष्य को प्रदान करके कृतार्थ करता है और गुरु द्वारा प्रदान कि जाने वाली अनमोल ज्ञान सुधा केवल याचना करके ही शिष्य पा लेता है। संपूर्ण संसार में गुरु के समान कोई भी दानी नहीं है गुरु ही सबसे बड़े दानी हैं। शिष्य के समान कोई याचक नहीं है। ज्ञान रुपी अमृतमयी अनमोल संपती गुरु अपने शिष्य को प्रदान करके कृतार्थ करता है और गुरु द्वारा प्रदान कि जाने वाली अनमोल ज्ञान सुधा केवळ याचना करके ही शिष्य प्राप्त कर लेता है।
इस दोहे का अर्थ है कि गुरु अपने शिष्य को ज्ञान प्रदान करके उसे अमूल्य उपहार देता है। ज्ञान ही मनुष्य को सही मार्ग पर चलने में मदद करता है। गुरु के बिना ज्ञान प्राप्त करना असंभव है। शिष्य को भी गुरु के ज्ञान को प्राप्त करने के लिए पूरी लगन और श्रद्धा से प्रयास करना चाहिए। इस दोहे में गुरु को दाता और शिष्य को याचक के रूप में बताया गया है। यह इसलिए है क्योंकि गुरु अपने शिष्य को बिना किसी स्वार्थ के ज्ञान प्रदान करता है। शिष्य भी गुरु के ज्ञान को प्राप्त करने के लिए पूरी लगन और श्रद्धा से प्रयास करता है। इस दोहे से हमें यह सीख मिलती है कि गुरु का सम्मान करना चाहिए और उनके ज्ञान को प्राप्त करने के लिए प्रयास करना चाहिए।
इस दोहे का अर्थ है कि गुरु अपने शिष्य को ज्ञान प्रदान करके उसे अमूल्य उपहार देता है। ज्ञान ही मनुष्य को सही मार्ग पर चलने में मदद करता है। गुरु के बिना ज्ञान प्राप्त करना असंभव है। शिष्य को भी गुरु के ज्ञान को प्राप्त करने के लिए पूरी लगन और श्रद्धा से प्रयास करना चाहिए। इस दोहे में गुरु को दाता और शिष्य को याचक के रूप में बताया गया है। यह इसलिए है क्योंकि गुरु अपने शिष्य को बिना किसी स्वार्थ के ज्ञान प्रदान करता है। शिष्य भी गुरु के ज्ञान को प्राप्त करने के लिए पूरी लगन और श्रद्धा से प्रयास करता है। इस दोहे से हमें यह सीख मिलती है कि गुरु का सम्मान करना चाहिए और उनके ज्ञान को प्राप्त करने के लिए प्रयास करना चाहिए।